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उत्तर प्रदेश मतलब भारत की 'डिफेंस आत्मनिर्भरता' का नया आधार

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लखनऊ, 11 मई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना अब उत्तर प्रदेश में आकार ले रही है. योगी आदित्यनाथ सरकार की सक्रियता और केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश अब भारत की ‘डिफेंस आत्मनिर्भरता’ का नया केंद्र बन चुका है.

रविवार को उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी के साथ-साथ देश की पहली अत्याधुनिक निजी टाइटेनियम और सुपर एलॉय निर्माण सुविधा की भी शुरुआत हुई.

इस परिसर में भारत में पहली बार टाइटेनियम रीमेल्टिंग और रीसाइक्लिंग की सबसे बड़ी वैश्विक क्षमता एक ही स्थान पर विकसित की गई है. यह केवल एक निर्माण इकाई नहीं, बल्कि रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में चार नई अत्याधुनिक निर्माण इकाइयों का भी शिलान्यास हुआ. इसमें एयरोस्पेस प्रिसीजन कास्टिंग प्लांट भी शामिल रहा, जहां जेट इंजन और एयरक्राफ्ट सिस्टम्स के लिए महत्वपूर्ण प्रिसीजन कंपोनेंट तैयार किए जाएंगे.

इसके साथ ही, एयरोस्पेस फोर्ज शॉप एंड मिल प्रोडक्ट्स प्लांट का भी शिलान्यास हुआ, जिसमें टाइटेनियम और सुपर एलॉय से बने बार्स, रॉड्स और शीट्स बनाए जाएंगे. एयरोस्पेस प्रिसीजन मशीनिंग शॉप के तहत जेट इंजन के सूक्ष्मतम स्तर पर घटकों की मशीनिंग की जाएगी, जबकि स्ट्रैटेजिक पाउडर मेटलर्जी फैसिलिटी के तहत भारत में पहली बार स्वदेशी तकनीक से टाइटेनियम और सुपर एलॉय मेटल पाउडर का निर्माण होगा.

यहां स्थापित स्ट्राइड एकेडमी युवाओं को रक्षा और एयरोस्पेस तकनीक की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देगी. वहीं, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर नई तकनीकों के स्वदेशी विकास, मैटेरियल इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस सुधार में अहम भूमिका निभाएगा. एयरोलॉय ने बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि उसने यूके की ‘ट्रैक प्रिसीजन सॉल्यूशंस’ का अधिग्रहण कर लिया है. यह कंपनी जेट इंजन के क्रिटिकल कंपोनेंट्स बनाने में अग्रणी है. इसके अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता का अब भारत को भी लाभ मिलेगा.

11 मई 1998 को पोखरण में भारत ने जब परमाणु परीक्षण कर वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत दिखाई थी, ठीक 27 साल बाद उसी तारीख को लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल प्रोडक्शन की शुरुआत उत्तर प्रदेश के लिए वैसी ही ऐतिहासिक उपलब्धि बन गई है. उत्तर भारत में आयुध फैक्ट्रियों को छोड़ दें तो इससे पहले ऐसी कोई हाई-एंड मिसाइल निर्माण सुविधा नहीं थी.

प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन और सीएम योगी के नेतृत्व में शुरू हुए डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का परिणाम है कि अब तक पांच यूनिट्स उत्पादन शुरू कर चुकी है और अब दो नई यूनिट्स भी इसमें शामिल हो गई हैं. तीन-चार वर्षों में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का इतनी तेजी से उत्पादन में आना ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम है. भारत हर साल करीब 6.5 लाख करोड़ रुपए रक्षा पर खर्च करता है, जिसमें से 2.5 लाख करोड़ रुपए का आयात होता है. अब मोदी-योगी सरकार का फोकस इन उपकरणों को भारत में बनाकर न सिर्फ आत्मनिर्भरता हासिल करने, बल्कि वैश्विक बाजार में भी निर्यात बढ़ाने पर है.

एसके/एबीएम

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