New Delhi, 14 अगस्त . भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना पहला टेस्ट मैच 1932 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज करने के लिए टीम इंडिया को 20 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. फरवरी 1952 में अपनी पहली टेस्ट जीत भारत ने चेन्नई में इंग्लैंड को हराकर ही हासिल की. लेकिन, इंग्लैंड को उसके घर में हराने का भारत का इंतजार और लंबा था. इस इंतजार को जिस कप्तान ने समाप्त किया, वो थे अजीत वाडेकर.
अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने न सिर्फ इंग्लैंड को उसके घर में पहली बार हराया, बल्कि पहली टेस्ट सीरीज भी जीती.
1932 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू करने वाली भारतीय टीम को विदेश में पहली जीत 1968 में मिली थी. मंसूर अली खान पटौदी की कप्तानी में, तब भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को हराया था.
इंग्लैंड के खिलाफ उसकी धरती पर भारत ने पहली बार टेस्ट सीरीज अपने नाम की. ये जीत अजीत वाडेकर की कप्तानी में नसीब हुई थी. दरअसल, 1971 में भारतीय टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए इंग्लैंड दौरे पर गई थी. सीरीज के पहले दो टेस्ट ड्रॉ रहे. तीसरा टेस्ट भारत ने 4 विकेट से जीत भारतीय टीम ने मैच और सीरीज अपने नाम किया था.
तीसरे टेस्ट में पहले इंग्लैंड ने बैटिंग करते हुए 355 रन बनाए थे. जवाब में भारत की पहली पारी 284 पर सिमट गई. भागवत चंद्रशेखर के छह विकेट के दम पर भारत ने इंग्लैंड को दूसरी पारी में 101 रन पर समेट दिया. जीत के लिए भारत को 173 रन का लक्ष्य मिला. वाडेकर (45), सरदेसाई (40), गुंडप्पा विश्वनाथ (33) और फारुख इंजीनियर (28) की पारियों के दम पर भारत ने छह विकेट खोकर मैच चार विकेट से जीत लिया.
यह टेस्ट ‘द ओवल’ में खेला गया था. भारत ने इससे पहले इंग्लैंड में 21 टेस्ट खेले थे, जिसमें 14 गंवाए थे और 7 ड्रॉ रहे थे. सीरीज में वाडेकर ने 204 रन बनाए थे.
अब तक सिर्फ तीन भारतीय कप्तान ही इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीत सके हैं. ये कप्तान हैं अजीत वाडेकर, कपिल देव और राहुल द्रविड़.
अजीत वाडेकर ने 16 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की थी. भारतीय टीम को चार मैचों में जीत और चार में हार का सामना करना पड़ा था. शेष आठ टेस्ट ड्रॉ रहे थे.
वाडेकर का जन्म 1 अप्रैल 1941 को Mumbai में हुआ था. 25 साल की उम्र में उन्होंने भारत के लिए 1966 में टेस्ट मैचों में डेब्यू किया. वह टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज और बाएं हाथ के स्पिनर थे. भारत के लिए 37 टेस्ट मैचों में 1 शतक और 14 अर्धशतक लगाते हुए 2,113 रन उन्होंने बनाए. इसके अलावा 2 वनडे मैचों में 1 अर्धशतक की मदद से 73 रन उन्होंने बनाए. जुलाई 1974 में उन्होंने भारत के लिए अपना आखिरी मैच खेला था.
भारत सरकार ने अजीत वाडेकर को 1967 में अर्जुन पुरस्कार और 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया था. वह भारतीय क्रिकेट के सर्वोच्च पुरस्कार, सी के नायडू पुरस्कार, से भी सम्मानित थे.
अजीत वाडेकर उन कुछ क्रिकेटरों में से एक हैं जिन्होंने खिलाड़ी, कप्तान, कोच/प्रबंधक और चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया है. उनके अलावा राहुल द्रविड़, लाला अमरनाथ और चंदू बोर्डे ही ऐसा कर सके हैं.
भारत को इंग्लैंड की धरती पर पहली टेस्ट जीत दिलाने वाले कप्तान अजीत वाडेकर का 15 अगस्त 2018 को निधन हो गया.
–
पीएके/केआर
You may also like
शनिवार को अगर इन 5 कामों को अपना लियाˈ तो शनिदेव की कृपा बरसेगी साढ़ेसाती भी नहीं छू पाएगी
भारी बारिश और बादल फटने से किश्तवाड़ में हाहाकार, हादसे में 30 लोगों की मौत, 75 घायल और दो पुल क्षतिग्रस्त
गले में मछली का काँटा फसने पर तुरंत करें ये काम, क्या पता आपका ज्ञान किसके काम आ जाए
China Debt to Pakistan: पाकिस्तान फुदककर अमेरिका की गोद में क्यों बैठ गया है, क्या चीन का कर्ज करेगा हजम? भारत की एंट्री से सीन चेंज
बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चुनाव आयोग जारी करेगा हटाए गए 65 लाख वोटर्स के नाम