New Delhi, 4 सितंबर . सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने देश भर के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के अपने सड़क सुरक्षा अधिकारियों और सड़क सुरक्षा लेखा परीक्षकों के लिए New Delhi में एक दिन का सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि केएन श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त) नागरिक उड्डयन सचिव एवं निदेशक, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, New Delhi थे. इस अवसर पर एनएचएआई के सदस्य (प्रशासन) विशाल चौहान और एनएचएआई मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ के सहयोग से आयोजित किया गया था.
दिन भर चले इस सत्र में सड़क सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से चर्चा की गई. इसमें विशेष रूप से विकसित ड्रोन आधारित एआई और एमएल मॉड्यूल- ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) द्वारा दुर्घटनाओं का कारण बनने वाले सुरक्षा मुद्दों की प्रारंभिक पहचान, दुर्घटना स्थलों की विस्तृत निरीक्षण प्रक्रिया और सुरक्षित गलियारों के लिए विशिष्ट शमन उपायों को अंतिम रूप देना, विशिष्ट शमन रेखाचित्र और लागत तैयार करना, शमन उपायों का क्षेत्र में क्रियान्वयन, शमन उपायों के क्रियान्वयन के दौरान निर्माण क्षेत्र की सुरक्षा आवश्यकताएं और क्रियान्वयन से पहले, बाद में क्षेत्र में प्रगति और दुर्घटना की स्थिति की निगरानी के लिए तंत्र विकसित करना शामिल था.
केएन श्रीवास्तव ने कहा, “मैं देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों के कायाकल्प के लिए एनएचएआई को बधाई देना चाहता हूं. हालांकि सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. यह प्रशिक्षण सत्र अधिकारियों को ऐसी रणनीतियां विकसित करने और लागू करने में मदद करेगा जो सड़क सुरक्षा को बढ़ाएंगी. सड़क सुरक्षा के मुद्दे को विभिन्न मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसमें उपयोगकर्ता का व्यवहार और सड़क सुरक्षा नियमों का उल्लंघन शामिल है. इनका समाधान सड़क सुरक्षा उपायों को मजबूत करने में आधुनिक तकनीक का उपयोग करके किया जा सकता है.”
एनएचएआई के सदस्य (प्रशासन) विशाल चौहान ने कहा, “सड़क सुरक्षा बढ़ाने के तीन महत्वपूर्ण आयामों में इंजीनियरिंग हस्तक्षेप, मानव व्यवहार और वाहन इंजीनियरिंग शामिल हैं. सड़क सुरक्षा बढ़ाने में इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना डेटाबेस (ई-डीएआर) जैसी तकनीक के उपयोग से ब्लैकस्पॉट की पहचान में मदद मिली है. उन्नत यातायात प्रबंधन प्रणालियों (एटीएमएस) की तैनाती से राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क सुरक्षा में सुधार हो रहा है. हम राष्ट्रीय राजमार्गों पर ‘शून्य मृत्यु दर’ के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं. इसके लिए हमें हितधारकों के बीच अधिक सहयोग और डेटा-आधारित रणनीतियां विकसित करने की आवश्यकता है. मुझे विश्वास है कि आज का प्रशिक्षण हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”
सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर शून्य मृत्यु दर प्राप्ति (जेडएफए) दृष्टिकोण के कार्यान्वयन की परिकल्पना की है.
जेडएफए पहल का उद्देश्य इंजीनियरिंग हस्तक्षेप, प्रवर्तन समन्वय, आपातकालीन प्रतिक्रिया सुधार और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली मौतों और गंभीर चोटों के कारणों की वैज्ञानिक रूप से पहचान करना, समाधान और समाप्त करना है. देश भर में 77 राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगभग 1,083 उच्च मृत्यु दर वाले क्षेत्रों (एचएफजेड) की पहचान की गई है. एनएचएआई द्वारा एक विशेष सड़क इंजीनियरिंग शमन उपाय कार्यक्रम शुरू किया गया है और चिन्हित एचएफजेड पर 6,948 महत्वपूर्ण स्थानों पर कार्य किया जाएगा.
इसके अलावा, वर्ष 2023 और 2024 के लिए इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (ई-डीएआर) प्रणाली से प्राप्त दुर्घटना आंकड़ों के गहन विश्लेषण के आधार पर एक सड़क सुरक्षा कार्य योजना तैयार की गई है. इसमें इंजीनियरिंग प्रवर्तन और ट्रामा केयर क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप के साथ-साथ एनएचएआई द्वारा किए जाने वाले अल्पकालिक और दीर्घकालिक इंजीनियरिंग उपाय शामिल हैं. संबंधित जिला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी प्रवर्तन और ट्रामा केयर संबंधी उपायों के लिए आवश्यक कार्रवाई करने में सहायता करेंगे.
2030 के अंत तक सड़क दुर्घटना में हताहतों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी लाने के केंद्र सरकार के मिशन के अनुसरण में एक दिन के प्रशिक्षण सत्र में देश भर के सभी सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित विभिन्न अवधारणाओं की गहन समझ प्रदान की गई.
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डीकेपी/
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