नई दिल्ली, 15 अप्रैल . नीति आयोग ने मंगलवार को कहा कि हैंड एंड पावर टूल सेक्टर में देश के पास बड़ा अवसर है और अगले 10 साल में इसमें निर्यात को बढ़ाकर 25 अरब डॉलर पर पहुंचाया जा सकता है.
आयोग ने एक रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान में हैंड एंड पावर टूल सेक्टर का वैश्विक बाजार 100 अरब डॉलर का है, जिसके 2035 तक बढ़कर लगभग 190 अरब डॉलर का होने की संभावना है. इसमें हैंड टूल का बाजार 34 अरब डॉलर से बढ़कर 60 अरब डॉलर और पावर टूल का बाजार 63 अरब डॉलर की तुलना में 134 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है. मौजूदा समय में चीन हैंड और पावर टूल निर्यात में वर्चस्व रखता है. हैंड टूल में उसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत और पावर टूल में 40 प्रतिशत है. वहीं भारत की हिस्सेदारी क्रमशः 1.8 फीसदी और 0.7 फीसदी है.
हैंड एंड पावर टूल्स में हाथ से और बिजली से चलाने वाले टूल्स आते हैं, जिनका इस्तेमाल प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, मेकेनिक आदि करते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2035 तक इस क्षेत्र में भारत का निर्यात एक अरब डॉलर से बढ़कर 25 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा. साथ ही, 35 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. हालांकि इसके लिए कुछ जरूरी बदलावों की सिफारिश भी की गई है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने इस उद्योग के विकास के लिए अनुपालन लागत कम करने, इंजीनियरिंग और कौशल विकास, ब्रिज फाइनेंसिंग और नवाचार के वाणिज्यीकरण पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह एक श्रम साध्य क्षेत्र है और राज्य सरकारों को चाहिए कि अनुपालन नियम को सरल बनाएं. उन्होंने कहा कि चीन के बाद जर्मनी में भी यह उद्योग फल-फूल रहा है क्योंकि वहां कौशल प्राप्त कर्मचारी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं.
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि यह उद्योग क्लस्टर में फलता-फूलता है. पंजाब में एक बड़ा क्लस्टर है. दिल्ली के आसपास एक क्लस्टर है, गुजरात में क्लस्टर है. कोई बड़ा उद्योग नहीं है. छोटी-छोटी कंपनियां हैं, एमएसएमई हैं जो इनका निर्माण करती हैं. उन्होंने कहा कि इस समय चीन तथा दूसरे देशों की तुलना में भारत पर अमेरिकी टैरिफ कम होने का फायदा मिल सकता है और यदि सही से ध्यान दिया गया तो छह से आठ महीने में परिणाम सामने आ सकते हैं.
नीति आयोग में कार्यक्रम निदेशक संजीत सिंह ने कार्यक्रम में हैंड एंड पावर टूल में संभावनाओं पर एक प्रेजेंटेशन दिया. उन्होंने कहा कि हैंड टूल का निर्यात मौजूदा 5,700 करोड़ रुपए से बढ़कर साल 2035 तक 1,25,000 करोड़ रुपए हो जाएगा. वहीं इसमें रोजगार पाने वालों की संख्या मौजूदा 10 हजार से बढ़कर 24 लाख तक पहुंच जाएगी. पावर टूल का निर्यात 4,800 करोड़ रुपए से बढ़कर 1,00,000 करोड़ रुपए पर और रोजगार 67 हजार से बढ़कर 13,87,000 होने की संभावना है.
उन्होंने बताया कि कच्चे माल की ज्यादा कीमत, स्टील तथा दूसरे कच्चे माल पर ऊंचा आयात शुल्क, लॉजिस्टिक्स और पावर की ज्यादा लागत, महंगी पूंजी और टेक्नोलॉजी में प्रगति की कमी के कारण अब तक इसकी प्रगति बाधित रही है.
आयोग ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्तरीय क्लस्टरों के निर्माण, साल में 300 घंटे ओवरटाइम की अनुमति और रोजाना काम की अनुमित अवधि बढ़ाकर 10 घंटे करने की सिफारिश की है. साथ ही सस्ती बिजली और जमीन उपलब्ध कराने की भी सिफारिश की है. आयोग ने कहा है कि पश्चिमी देशों की तरह ओवरटाइम पर पारिश्रमिक की अधिकतम सीमा मूल पारिश्रमिक के डेढ़ गुना पर सीमित की जा सकती है.
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि उस निर्यात के लिए हमें कितना आयात करना पड़ेगा क्योंकि अंतिम उत्पाद में लगने वाले कई कलपुर्जों के लिए भी हम आयात पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा अनुसंधान एवं विकास पर भी ध्यान देना होगा. वर्तमान में 10 भारतीय कंपनियां पावर टूल बना रही हैं, लेकिन कोई मूल रूप से भारतीय नहीं हैं. ये विदेशी कंपनियां हैं जो किसी भारतीय कंपनी के सहयोग से अपनी भारतीय इकाई चला रही हैं. उन्होंने कहा कि डिजाइन और टेक्नोलॉजी के मामले में भारतीय के नाम पर कुछ भी नहीं है.
नीति आयोग के एक अन्य सदस्य अरविंद विरमाणी ने कहा कि राज्यों को भी इसका महत्व समझना होगा. श्रम, जमीन और बिजली राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में हैं. घरेलू उपभोक्ताओं को सब्सिडी देकर इंडस्ट्री से बिजली की ज्यादा कीमत वसूली जाती है, जबकि सच्चाई यह है कि यदि उद्योग बढ़ेंगे तो आम लोगों को बेहतर रोजगार मिलेंगे और उनके पास ज्यादा पैसा होगा.
कार्यक्रम से इतर समाचार एजेंसी से बात करते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस के प्रेसिडेंट अश्वनी कुमार ने कहा कि हैंड एंड पॉवर टूल्स सेक्टर आज से 10 साल में सबसे बड़ा सेक्टर होने जा रहा है. नीति आयोग की इस रिपोर्ट में रोडमैप दर्शाया गया है कि कैसे इसे एक अरब डॉलर से 25 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट्स मार्केट बनाया जाए. विकसित भारत के निर्माण में बहुत ही कम समय में इसका बहुत बड़ा योगदान रहेगा.
संजीत सिंह ने को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य को हासिल करने में अगले पांच-दस साल काफी महत्वपूर्ण हैं. हमारे बदलते एमएसएमई सेक्टर में हैंड एंड पावर टूल्स सेक्टर काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. यदि हम आज से ही यह रोडमैप बनाकर चलें तो रास्ता आसान रहेगा.
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एकेजे/
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