Next Story
Newszop

वह मंदिर जहां हुआ था मां दुर्गा-महिषासुर का भीषण युद्ध, पहाड़ी पर आज भी है मां के पैरों के निशान ╻

Send Push

नवरात्रि का आज अंतिम दिन है। ऐसे में भक्त जन माता रानी की खूब पूजा अर्चना कर रहे हैं। नवमी के दिन अधिकतर मंदिरों में भी बहुत भीड़ रहती है। देशभर में मां के कई मंदिर हैं। इनमें से कुछ बेहद खास और अनोखे हैं। आज हम आपको छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) के मां दंतेश्वरी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। मां दंतेश्वरी बस्तर की आराध्य देवी के रूप में भी प्रसिद्ध है।

बेहद अनोखा है मां दंतेश्वरी मंदिर image

दंतेवाड़ा शक्तिपीठ में दंतेश्वरी मंदिर के अलावा आपको यहां जगदलपुर (Jagdalpur) और कोंडागांव (Kondagaon) के बड़े डोंगर में भी कई साल पुराना मंदिर बना है। यहां बड़े डोंगर की गगनचुंबी पहाड़ियों पर ही दंतेश्वरी मंदिर स्थापित है। नवरात्रि के अवसर पर यहां मेला भी लगता है। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं।

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका समेत अन्य देशों से भी श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने को आते हैं। नवरात्रि पर यहां लगभग पांच हजार ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां मां दुर्गा के चरण और शेर के पंजों के निशान हैं।

पहाड़ी पर है मां दुर्गा के पैरों के निशान

मां दंतेश्वरी के दर्शन करने के लिए आपको सबसे पहले छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले जाना होगा। यहां से लगभग 50 किलोमीटर का सफर तय कर आपको बड़े डोंगर की ऊंची पहाड़ियों पर आना होगा। यहां आपको मां दंतेश्वरी का वह मंदिर मिलेगा जहां कभी राक्षस महिषासुर और मां दुर्गा का युद्ध हुआ था। पृथ्वी पर महिषासुर का आतंक बहुत बढ़ गया था। ऐसे में उसे सबक सिखाने मां दुर्गा स्वयं आई थी।

मां दुर्गा और महिषासुर के बीच अनंत दिनों तक युद्ध चला। अंत में महिषासुर समझ गया कि वह मां दुर्गा के सामने टिक नहीं सकता है। इसलिए वह भागने लगा। जब वह ऐसा कर रहा था तो मां दुर्गा अपने शेर पर सवार होकर उसे निहार रही थी। इस दौरान मां दुर्गा और शेर के पंजों के निशान पहाड़ी पर छप गए। यह निशान आज भी यहां मौजूद हैं।

image

यहां दर्शन करने आने वाले लोग माता के पदचिन्ह की पूजा करते हैं। मां दुर्गा और महिषासुर के युद्ध की वजह से पहाड़ी का नाम भैंसा दौन्द या द्वंद पड़ गया। यह स्थानीय हल्बी बोली का नाम है। इस पहाड़ी पर कई राजा भी दर्शन को आते थे। उन्हीं ने इस मंदिर को बनवाया था। यहां पाहाड़ी पर एक रानी दर गुफा नाम की एक अंधेरी सुरंग भी है।

मंदिर के पत्थरों से निकली है विचित्र ध्वनि image

बड़े डोंगर की भैंसा दौन्द पहाड़ी में कई रहस्य दफन है। इनमें एक ध्वनि तरंगों वाला पत्थर भी शामिल है। इस पत्थर को स्थानीय ग्रामीण हल्बी बोली में कौड़ी ढुंसी कहते हैं। दरअसल सालों पहले जब पैसों की जगह कौड़ी का प्रचलन था तब इन कौड़ियों को संग्रहित कर रखने के खजाना को ढुंसी कहा जाता था। यहां की पहाड़ी के पत्थरों की एक खासियत है। इन्हें आपस में टकराया जाए तो एक अलग तरह की ध्वनि उत्पन्न होती है। ध्वनि तरंगों वाले इस अजूबे पत्थर का राज आज भी रहस्य ही बना हुआ है।

Loving Newspoint? Download the app now