Government gets SOS call from trade body: चीन ने एक ऐसा आदेश जारी किया है, जिसने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में हड़कंप मचा दिया है. इससे भारत के स्मार्टफोन निर्यात के 32 अरब डॉलर (लगभग 2.75 लाख करोड़ रुपये) के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर खतरा मंडरा रहा है. इसको लेकर देश में हड़कंप मच गया हे. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) जिसमें ऐपल, गूगल, मोटोरोला, फॉक्सकॉन, वीवो, ओप्पो, लावा, डिक्सन, फ्लेक्स और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. इन सभी ने सरकार को SOS चिट्ठी लिखकर तुरंत हस्तक्षेप की गुहार लगाई है. आखिर क्या है ये माजरा, और क्यों मचा है बवाल? जानते हैं पूरा मामला.
चीन के ‘इंडिया छोड़ो’ आदेश से हड़कंप
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने एक ऐसा आदेश जारी किया है, जिसमें चीन ने अपने इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को तुरंत भारत छोड़ने का फरमान सुना दिया है. जिसके बाद भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में हड़कंप मच गया है. दिया है.
चीन की चाल, भारत की हालत खराब
ICEA ने अपनी चिट्ठी में खुलासा किया है कि चीन ने भारत के खिलाफ चुपके-चुपके व्यापार प्रतिबंध लगा दिए हैं. ये प्रतिबंध कोई आधिकारिक ऐलान के साथ नहीं, बल्कि मौखिक आदेशों के जरिए लागू किए गए हैं. इसमें उपकरणों की सप्लाई पर ब्रेक लगाने की बात हो रही है, जिससे स्मार्टफोन बनाने के लिए जरूरी मशीनें और उपकरण, जो ज्यादातर चीन से आते हैं, अब रुक गए हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल होने वाले खास खनिजों की आपूर्ति बंद कर दी गई है.चीन ने अपने उन स्किल्ड टेक्नीशियन्स और इंजीनियर्स को भारत से वापस बुला लिया है, जो इन मशीनों को चलाने में माहिर हैं. ICEA का कहना है कि ये सब भारत की सप्लाई चेन को तोड़ने और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की उसकी कोशिशों को बर्बाद करने की साजिश है. इससे प्रोडक्शन में देरी हो रही है, लागत बढ़ रही है, और भारत की ग्लोबल मार्केट में साख दांव पर लग सकती है.
फॉक्सकॉन पर सबसे बड़ा झटका
चीन का ये आदेश ऐपल की सबसे बड़ी पार्टनर कंपनी फॉक्सकॉन के लिए आफत बन गया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, फॉक्सकॉन की भारतीय फैक्ट्रियों से 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को दो महीने पहले ही वापस बुला लिया गया. अब सिर्फ ताइवानी स्टाफ बचा है. ये लोग आईफोन 17 की मैन्युफैक्चरिंग की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन अब प्रोडक्शन में भारी दिक्कतें आ रही हैं. मोबाइल बनाने की ज्यादातर मशीनें चीन से आती हैं, और इन्हें चलाने की जानकारी चीनी पेशेवरों के पास होती है. ऐसे में फॉक्सकॉन का काम ठप होने की कगार पर है.
32 अरब डॉलर का सपना टूटेगा?
भारत ने इस साल 24 अरब डॉलर और अगले साल 32 अरब डॉलर के स्मार्टफोन निर्यात का लक्ष्य रखा है. ऐपल, गूगल और मोटोरोला जैसी कंपनियां भारत से अमेरिका समेत कई देशों को फोन भेज रही हैं. लेकिन चीन की इस चाल से ये लक्ष्य खतरे में पड़ गया है. ICEA ने चेतावनी दी है कि अगर ये रुकावटें नहीं हटीं, तो भारत का ‘मेक इन इंडिया’ मिशन और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम भी पटरी से उतर सकती है.
सरकार क्या कर रही है?
सरकार ने कहा है कि वह हालात पर नजर रख रही है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, एक सरकारी सूत्र ने बताया, “हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं. ऐपल के पास दूसरे रास्ते हैं, और उन्हें इस मसले से निपटने का तरीका ढूंढ लेना चाहिए. ये मुख्य रूप से ऐपल और फॉक्सकॉन का मामला है.” लेकिन उद्योग के जानकारों का कहना है कि ये इतना आसान नहीं है.
इस खबर से जुड़े 5 सवाल और जवाब
-चीन ने भारत से अपने जीनियर्स और टेक्नीशियन्स को क्यों बुलाया?
चीन ने अपने इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को भारत छोड़ने का आदेश दिया है, साथ ही स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग के उपकरण और खनिजों की सप्लाई रोकी है.
-इसका सबसे ज्यादा असर किस कंपनी पर पड़ा है?
ऐपल की पार्टनर कंपनी फॉक्सकॉन को सबसे बड़ा झटका लगा है, जहां 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स को वापस बुला लिया गया.
-भारत को इससे क्या नुकसान होगा?
भारत के 32 अरब डॉलर (लगभग 2.75 लाख करोड़ रुपये) के स्मार्टफोन निर्यात लक्ष्य पर खतरा मंडरा रहा है.
-सरकार इस मामले में क्या कर रही है?
सरकार हालात पर नजर रख रही है और कह रही है कि ऐपल को वैकल्पिक रास्ते ढूंढने चाहिए.
इससे भारत को क्या नुकसान हो सकता है?
प्रोडक्शन में देरी, लागत बढ़ने और ग्लोबल मार्केट में साख कम होने का खतरा है, साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी झटका लग सकता है.
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