एक समय की बात है, एक राजा अपने वज़ीर से नाराज होकर उसे एक विशाल मीनार के शीर्ष पर कैद कर देता है। यह स्थिति उसके लिए एक प्रकार का कठोर दंड बन जाती है, क्योंकि न तो उसे कोई भोजन पहुंचा सकता था और न ही वह मीनार से कूदकर भाग सकता था। जब उसे मीनार पर ले जाया जा रहा था, तब लोगों ने देखा कि वह बिल्कुल भी चिंतित नहीं था, बल्कि हमेशा की तरह खुश और प्रसन्न दिखाई दे रहा था। उसकी पत्नी ने दुखी होकर उससे पूछा, 'तुम इतने खुश क्यों हो?'
राजा ने उत्तर दिया, 'यदि मुझे रेशम का एक पतला धागा भी मिल जाए, तो मैं स्वतंत्र हो जाऊंगा। क्या तुम यह काम नहीं कर सकती?'
उसकी पत्नी ने बहुत सोचा, लेकिन इतनी ऊंचाई पर रेशम का धागा पहुंचाने का कोई उपाय उसके मन में नहीं आया। तब उसने एक फकीर से मदद मांगी। फकीर ने उसे सलाह दी, 'भृंग नामक कीड़े को पकड़ो, उसके पैर में रेशम का धागा बांध दो और उसकी मूंछों पर शहद की एक बूंद रखकर उसे मीनार पर छोड़ दो।'
उस रात ऐसा ही किया गया। कीड़ा मधु की गंध को पहचानते हुए धीरे-धीरे ऊपर चढ़ने लगा और अंततः उसने अपनी यात्रा पूरी की। रेशम का धागा राजा के हाथ में पहुंच गया। इस धागे की मदद से उसे मुक्ति मिली। फिर सूत का धागा बांधकर ऊपर भेजा गया, और अंत में मोटा रस्सा। इसी रस्से के सहारे वह कैद से बाहर निकल गया।
सूर्य तक पहुंचने के लिए केवल एक प्रकाश की किरण की आवश्यकता होती है। यह किरण किसी को पहुंचानी नहीं होती, बल्कि यह हर किसी के पास मौजूद होती है।
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