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संपत्ति के अधिकार: बहनों का हिस्सा और बंटवारे की प्रक्रिया

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संपत्ति का बंटवारा: एक सामान्य प्रक्रिया


संपत्ति का बंटवारा एक सामान्य प्रक्रिया है, जो परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी होती आ रही है। जैसे-जैसे परिवार बढ़ता है, संपत्ति का बंटवारा भी होता है।


हालांकि, संपत्ति का बंटवारा जितना सरल लगता है, वास्तव में यह अक्सर विवादों का कारण बनता है। संपत्ति के अधिकारों के मामले में रिश्तेदार भी शामिल हो सकते हैं।


बहनों के संपत्ति में अधिकार

कितना है बहनों का अधिकार


कानून के अनुसार, संपत्ति में बेटों के समान बहनों का भी अधिकार है। इसका मतलब है कि बहनें भी संपत्ति की समान हिस्सेदार होंगी, चाहे वे विवाहित हों या अविवाहित।


संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है

संपत्ति का बंटवारा


हालांकि कानून कहता है कि संपत्ति का बंटवारा सभी भाई-बहनों में समान रूप से होना चाहिए, लेकिन भारतीय समाज में अक्सर यह देखा जाता है कि संपत्ति केवल भाइयों में ही बंटती है।


बहनों को अक्सर पराया धन माना जाता है और वे अपने पति की संपत्ति में जीवन यापन करती हैं। हालांकि, कानूनी रूप से वे अपने हिस्से की मांग कर सकती हैं।


संपत्ति के बंटवारे में सहमति का महत्व

सहमति की आवश्यकता


संपत्ति का बंटवारा करते समय सभी पक्षों की सहमति आवश्यक है। यदि सहमति नहीं है, तो विवाद उत्पन्न हो सकता है और मामला अदालत तक पहुंच सकता है।


यह भी महत्वपूर्ण है कि बहन के पति से भी सहमति प्राप्त की जाए, क्योंकि वह अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाल सकता है।


माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का बंटवारा

संपत्ति का बंटवारा


जब माता-पिता का निधन होता है, तो संपत्ति के बंटवारे में अक्सर विवाद होते हैं। कानून के अनुसार, यदि संपत्ति किसी के नाम नहीं की गई है, तो सभी संतानों को समान हिस्सा मिलेगा।


संपत्ति का बंटवारा और बहनों की मर्जी

बहनों की इच्छा


संपत्ति का बंटवारा हमेशा बहन की इच्छा पर निर्भर करता है। वह अपनी मर्जी से संपत्ति का हिस्सा छोड़ सकती है, और भाई इस पर दबाव नहीं डाल सकते।


संपत्ति बंटवारे का कानून

कानूनी नियम


संपत्ति के बंटवारे के लिए कानूनी नियमों का पालन करना आवश्यक है। यदि मामला अदालत में जाता है, तो सभी नामित व्यक्तियों की सहमति जरूरी होती है।


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