अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड एग्रीमेंट (व्यापार समझौते) की बातचीत फिलहाल पूरी नहीं हुई है. अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने कहा है कि अभी और बातचीत की जरूरत है, खासकर ऐसे समय में जब 1 अगस्त की समयसीमा नजदीक आ रही है, जिसके बाद हाई टैरिफ लागू हो सकते हैं. उन्होंने CNBC को दिए इंटरव्यू में बताया कि भारत के साथ समझौता भले ही पहले 'करीब' लग रहा था, लेकिन असल में भारत की ट्रेडिशनल 'मार्केट प्रोटेक्शन' नीति के कारण यह आसान नहीं है.
ग्रीर ने कहा, 'हमारी बातचीत अब तक काफी पॉजिटिव रही है. भारत ने कुछ सेक्टर में अपने मार्केट को खोलने में रुचि दिखाई है और हम भी बातचीत के लिए तैयार हैं. अब ये देखना होगा कि भारत इस समझौते को लेकर कितनी बड़ी छलांग लगाने को तैयार है.'
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि के इस बयान से तीन दिन पहले यानी 26 जुलाई को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है. अमेरिका की टीम अगस्त में भारत आएगी, जहां दोनों देशों के बीच इस प्रस्तावित ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर अगले दौर की बातचीत होगी. उन्होंने ये भी कहा था कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में कोई बड़ी रुकावट नहीं है और अब तक की बातचीत में वीजा या इमिग्रेशन जैसे मुद्दे नहीं उठे हैं.
जैमीसन ग्रीर बोले - भारत ने हमेशा अपने डोमेस्टिक मार्केट को बचाया
अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने कहा कि भारत की ट्रेड नीति हमेशा से अपने डोमेस्टिक मार्केट (घरेलू बाजार) को बचाने पर जोर देती आई है. यानी भारत विदेशी कंपनियों को आसानी से अपने बाजार में घुसने नहीं देता. ग्रीर ने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऐसा एग्रीमेंट चाहते हैं जिनमें दूसरा देश अपना मार्केट पूरी तरह अमेरिका के लिए खोल दे. अब अगस्त में अमेरिकी टीम भारत आएगी, जहां दोनों देशों के बीच ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर अगली बातचीत होगी.
कुछ बातों को लेकर दोनों देशों की राय अलग-अलग
भारत और अमेरिका के बीच जो ट्रेड एग्रीमेंट होने वाला है, उसमें कुछ बातों को लेकर दोनों देशों की राय अलग-अलग है. भारत ने साफ किया है कि वह अभी डेयरी और कृषि उत्पादों पर अमेरिका को कस्टम ड्यूटी में कोई छूट नहीं देगा. भारत अब तक किसी भी देश को डेयरी सेक्टर में ऐसी छूट नहीं देता है. किसान संगठन भी सरकार से कह रहे हैं कि खेती से जुड़े मुद्दे इस समझौते में न शामिल किए जाएं. भारत चाहता है कि अमेरिका उस पर 26% अतिरिक्त टैक्स ना लगाए. इसके साथ ही, भारत स्टील और एल्युमिनियम पर लगे 50% टैक्स और ऑटो सेक्टर पर लगे 25% टैक्स में भी राहत चाहता है.
इसके अलावा, भारत यह भी चाहता है कि उसके हस्तशिल्प, कपड़े, जूते-चप्पल, रत्न-जवाहरात, प्लास्टिक, केमिकल, झींगा मछली, तिलहन, अंगूर और केले जैसे प्रोडक्ट पर अमेरिका टैरिफ कम करे. ये ऐसे सेक्टर हैं जिनमें बहुत सारे लोगों को रोजगार मिलता है.
अमेरिका क्या चाहता है?
अमेरिका चाहता है कि भारत कुछ खास चीजों पर टैरिफ कम करे, जैसे- औद्योगिक सामान, गाड़ियां (खासकर इलेक्ट्रिक), वाइन, पेट्रोकेमिकल्स, खेती के उत्पाद, डेयरी आइटम, सेब, ड्राई फ्रूट्स और जेनेटिकली बदली गई फसलें. दोनों देश मिलकर इस साल सितंबर-अक्टूबर तक एक बड़ा व्यापार समझौता (BTA – बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट) करना चाहते हैं. लेकिन उससे पहले वे एक छोटा समझौता भी कर सकते हैं.
भारत और अमेरिका के व्यापार का हाल क्या है?
इस साल अप्रैल से जून के बीच भारत ने अमेरिका को करीब 25.51 बिलियन डॉलर का सामान बेचा, जो पिछले साल के मुकाबले 22.8% ज्यादा है. वहीं, भारत ने अमेरिका से 12.86 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा, जो 11.68% की बढ़त है.
ट्रंप ने भारत सहित अन्य देशों पर 2 अप्रैल को लगाया था रेसिप्रोकल टैरिफ
इससे पहले, 2 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत सहित अन्य देशों पर जवाबी टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की घोषणा की थी. लेकिन इन टैरिफ को तुरंत लागू नहीं किया गया. पहले 90 दिनों के लिए इसे टाल दिया गया यानी 9 जुलाई तक और फिर बढ़ाकर 1 अगस्त तक कर दिया गया. ताकि बातचीत का मौका मिल सके.
ग्रीर ने कहा, 'हमारी बातचीत अब तक काफी पॉजिटिव रही है. भारत ने कुछ सेक्टर में अपने मार्केट को खोलने में रुचि दिखाई है और हम भी बातचीत के लिए तैयार हैं. अब ये देखना होगा कि भारत इस समझौते को लेकर कितनी बड़ी छलांग लगाने को तैयार है.'
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि के इस बयान से तीन दिन पहले यानी 26 जुलाई को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है. अमेरिका की टीम अगस्त में भारत आएगी, जहां दोनों देशों के बीच इस प्रस्तावित ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर अगले दौर की बातचीत होगी. उन्होंने ये भी कहा था कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में कोई बड़ी रुकावट नहीं है और अब तक की बातचीत में वीजा या इमिग्रेशन जैसे मुद्दे नहीं उठे हैं.
जैमीसन ग्रीर बोले - भारत ने हमेशा अपने डोमेस्टिक मार्केट को बचाया
अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने कहा कि भारत की ट्रेड नीति हमेशा से अपने डोमेस्टिक मार्केट (घरेलू बाजार) को बचाने पर जोर देती आई है. यानी भारत विदेशी कंपनियों को आसानी से अपने बाजार में घुसने नहीं देता. ग्रीर ने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऐसा एग्रीमेंट चाहते हैं जिनमें दूसरा देश अपना मार्केट पूरी तरह अमेरिका के लिए खोल दे. अब अगस्त में अमेरिकी टीम भारत आएगी, जहां दोनों देशों के बीच ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर अगली बातचीत होगी.
कुछ बातों को लेकर दोनों देशों की राय अलग-अलग
भारत और अमेरिका के बीच जो ट्रेड एग्रीमेंट होने वाला है, उसमें कुछ बातों को लेकर दोनों देशों की राय अलग-अलग है. भारत ने साफ किया है कि वह अभी डेयरी और कृषि उत्पादों पर अमेरिका को कस्टम ड्यूटी में कोई छूट नहीं देगा. भारत अब तक किसी भी देश को डेयरी सेक्टर में ऐसी छूट नहीं देता है. किसान संगठन भी सरकार से कह रहे हैं कि खेती से जुड़े मुद्दे इस समझौते में न शामिल किए जाएं. भारत चाहता है कि अमेरिका उस पर 26% अतिरिक्त टैक्स ना लगाए. इसके साथ ही, भारत स्टील और एल्युमिनियम पर लगे 50% टैक्स और ऑटो सेक्टर पर लगे 25% टैक्स में भी राहत चाहता है.
इसके अलावा, भारत यह भी चाहता है कि उसके हस्तशिल्प, कपड़े, जूते-चप्पल, रत्न-जवाहरात, प्लास्टिक, केमिकल, झींगा मछली, तिलहन, अंगूर और केले जैसे प्रोडक्ट पर अमेरिका टैरिफ कम करे. ये ऐसे सेक्टर हैं जिनमें बहुत सारे लोगों को रोजगार मिलता है.
अमेरिका क्या चाहता है?
अमेरिका चाहता है कि भारत कुछ खास चीजों पर टैरिफ कम करे, जैसे- औद्योगिक सामान, गाड़ियां (खासकर इलेक्ट्रिक), वाइन, पेट्रोकेमिकल्स, खेती के उत्पाद, डेयरी आइटम, सेब, ड्राई फ्रूट्स और जेनेटिकली बदली गई फसलें. दोनों देश मिलकर इस साल सितंबर-अक्टूबर तक एक बड़ा व्यापार समझौता (BTA – बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट) करना चाहते हैं. लेकिन उससे पहले वे एक छोटा समझौता भी कर सकते हैं.
भारत और अमेरिका के व्यापार का हाल क्या है?
इस साल अप्रैल से जून के बीच भारत ने अमेरिका को करीब 25.51 बिलियन डॉलर का सामान बेचा, जो पिछले साल के मुकाबले 22.8% ज्यादा है. वहीं, भारत ने अमेरिका से 12.86 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा, जो 11.68% की बढ़त है.
ट्रंप ने भारत सहित अन्य देशों पर 2 अप्रैल को लगाया था रेसिप्रोकल टैरिफ
इससे पहले, 2 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत सहित अन्य देशों पर जवाबी टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की घोषणा की थी. लेकिन इन टैरिफ को तुरंत लागू नहीं किया गया. पहले 90 दिनों के लिए इसे टाल दिया गया यानी 9 जुलाई तक और फिर बढ़ाकर 1 अगस्त तक कर दिया गया. ताकि बातचीत का मौका मिल सके.
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