भारत में लचीले कार्यस्थलों की अग्रणी कंपनी वीवर्क इंडिया मैनेजमेंट लिमिटेड ने अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) की तैयारी शुरू कर दी है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी इस पब्लिक इश्यू के जरिए लगभग 3500 करोड़ रुपये (यानी 407 मिलियन डॉलर) जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यह आईपीओ अगस्त में लॉन्च किया जा सकता है, हालांकि अंतिम योजना अब भी बदल सकती है क्योंकि फिलहाल कुछ सूचनाएं गोपनीय हैं।
बाजार नियामक को दी गई एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, इस प्रस्तावित इश्यू में कुल 43.75 मिलियन इक्विटी शेयरों की बिक्री की जाएगी। इनमें से सबसे बड़ी हिस्सेदारी कंपनी के प्रमोटर एम्बेसी बिल्डकॉन एलएलपी द्वारा बेची जाएगी, जो लगभग 3.34 करोड़ शेयर ऑफर करेगा। इसके अलावा, एक अन्य निवेशक 1 एरियल वे टेनेंट लिमिटेड भी करीब 1.03 करोड़ शेयर बेचने जा रहा है।
हाल ही में वीवर्क इंडिया को आईपीओ लाने के लिए रेगुलेटरी मंजूरी भी मिल गई है, जिससे यह प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से आगे बढ़ने को तैयार है। इस पब्लिक इश्यू को मैनेज करने की जिम्मेदारी कई प्रमुख निवेश बैंकों को सौंपी गई है, जिनमें जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड, जेफरीज फाइनेंशियल ग्रुप इंक, कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी और 360 वन डब्ल्यूएएम लिमिटेड शामिल हैं।
भारत में बीते कुछ वर्षों में फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस की मांग तेजी से बढ़ी है, खासतौर पर मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा बैक-ऑफिस संचालन के विस्तार और अधिक अनुकूल लीजिंग मॉडल अपनाने की प्रवृत्ति के चलते। कोलियर्स इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फ्लेक्सी ऑफिस सेक्टर अब निवेशकों के लिए नया आकर्षण बनता जा रहा है। इसी रुझान को भुनाने के लिए वीवर्क इंडिया के साथ-साथ ऑफिस स्पेस सॉल्यूशंस लिमिटेड, स्मार्टवर्क्स कोवर्किंग स्पेसेस लिमिटेड और एग्जीक्यूटिव सेंटर जैसी कंपनियां भी बाजार से पूंजी जुटाने की होड़ में हैं।
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक WeWork India देशभर में 59 केंद्रों में कुल 94,440 डेस्क संचालित कर रहा था, जिसमें कुल 6.48 मिलियन स्क्वेयर फीट लीज़ेबल एरिया शामिल है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कंपनी भारत में अपने विस्तार की नींव को मजबूत करने में सफल रही है और अब निवेशकों को हिस्सेदार बनाने के लिए तैयार है।
आईपीओ की लॉन्चिंग के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि बाजार में वीवर्क इंडिया को किस तरह की प्रतिक्रिया मिलती है, खासकर ऐसे समय में जब रियल एस्टेट और कोवर्किंग सेगमेंट में निवेशकों की रुचि पुनः जागृत हुई है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
बाजार नियामक को दी गई एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, इस प्रस्तावित इश्यू में कुल 43.75 मिलियन इक्विटी शेयरों की बिक्री की जाएगी। इनमें से सबसे बड़ी हिस्सेदारी कंपनी के प्रमोटर एम्बेसी बिल्डकॉन एलएलपी द्वारा बेची जाएगी, जो लगभग 3.34 करोड़ शेयर ऑफर करेगा। इसके अलावा, एक अन्य निवेशक 1 एरियल वे टेनेंट लिमिटेड भी करीब 1.03 करोड़ शेयर बेचने जा रहा है।
हाल ही में वीवर्क इंडिया को आईपीओ लाने के लिए रेगुलेटरी मंजूरी भी मिल गई है, जिससे यह प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से आगे बढ़ने को तैयार है। इस पब्लिक इश्यू को मैनेज करने की जिम्मेदारी कई प्रमुख निवेश बैंकों को सौंपी गई है, जिनमें जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड, जेफरीज फाइनेंशियल ग्रुप इंक, कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी और 360 वन डब्ल्यूएएम लिमिटेड शामिल हैं।
भारत में बीते कुछ वर्षों में फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस की मांग तेजी से बढ़ी है, खासतौर पर मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा बैक-ऑफिस संचालन के विस्तार और अधिक अनुकूल लीजिंग मॉडल अपनाने की प्रवृत्ति के चलते। कोलियर्स इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फ्लेक्सी ऑफिस सेक्टर अब निवेशकों के लिए नया आकर्षण बनता जा रहा है। इसी रुझान को भुनाने के लिए वीवर्क इंडिया के साथ-साथ ऑफिस स्पेस सॉल्यूशंस लिमिटेड, स्मार्टवर्क्स कोवर्किंग स्पेसेस लिमिटेड और एग्जीक्यूटिव सेंटर जैसी कंपनियां भी बाजार से पूंजी जुटाने की होड़ में हैं।
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक WeWork India देशभर में 59 केंद्रों में कुल 94,440 डेस्क संचालित कर रहा था, जिसमें कुल 6.48 मिलियन स्क्वेयर फीट लीज़ेबल एरिया शामिल है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कंपनी भारत में अपने विस्तार की नींव को मजबूत करने में सफल रही है और अब निवेशकों को हिस्सेदार बनाने के लिए तैयार है।
आईपीओ की लॉन्चिंग के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि बाजार में वीवर्क इंडिया को किस तरह की प्रतिक्रिया मिलती है, खासकर ऐसे समय में जब रियल एस्टेट और कोवर्किंग सेगमेंट में निवेशकों की रुचि पुनः जागृत हुई है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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