शेयर मार्केट में मंगलवार को बाउंस बैक देखा जा रहा है. इस तेज़ी में निफ्टी 22700 के करीब आ गया. निफ्टी और सेंसेक्स में 2% की तेज़ी देखी जा रही है. सोमवार की बड़ी गिरावट के बाद मंगलवार को बाज़ार में पुलबैक देखा जा रहा है,लेकिन निवेशकों के मन में सवाल यह है कि टैरिफ की आशंकाओं के बीच बाज़ार की यह तेज़ी टिकेगी या नहीं? ट्रंप के टैरिफ की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मंदी की ओर जाने का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन इक्विटी निवेशकों को आखिरकार मंगलवार को बाज़ार में तेज़ी आई, जिसे देखकर ट्रेडर्स हैरान हैं कि क्या सेंसेक्स-निफ्टी अपने निचले स्तर पर पहुंच गए हैं या यह सिर्फ एक डेड-कैट बाउंस है?शेयर मार्केट में मंगलवार को सेंसेक्स 1089 अंकों की तेज़ी के साथ 74227 के लेवल पर बंंद हुआ. निफ्टी 374 अंकों की तेज़ी के साथ 22536 के लेवल पर बंद हुआ. इस तेज़ी के साथ ही बाज़ार में एक विश्वास देखा जा रहा है.हालांकि तेज़ी पर संशय के बाद है अब भी हैं.मार्केट में सोमवार की गिरावट में बाजार पूंजीकरण में 24 लाख करोड़ रुपए का नुकसान किया था. इसके बाद मंगलवार को बाज़ार में तेज़ी रही. बाज़ार की यह उछाल भारत तक ही सीमित नहीं रही. जापान का निक्केई करीब 6% चढ़ा और डॉव फ्यूचर्स करीब 2% ऊपर कारोबार कर रहे थे.दुनिया के सबसे बड़े एसेट मैनेजर ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक की चेतावनी को नजरअंदाज कर रहा है. फिंक ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका में टैरिफ में भारी वृद्धि से व्यापक आर्थिक संकुचन शुरू होता है तो इक्विटी मार्केट में 20% की और गिरावट आ सकती है. कुछ निवेशकों का मानना है कि यह पहले से ही चल रहा है.अचानक आई शांति इस उम्मीद के बीच आई है कि शांत दिमाग वाले लोग आगे बढ़ेंगे, जबकि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर लगातार बढ़ रहा है, यूरोपीय संघ, जापान और भारत सहित अधिकांश अन्य अर्थव्यवस्थाओं ने बातचीत का विकल्प चुना है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नुकसान दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं तक ही सीमित रह सकता है. फिर भी अमेरिका में मंदी का खतरा बढ़ गया है और व्यापक रूप से चीन को टैरिफ के प्रभाव का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. ट्रम्प की चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 50% टैरिफ लगाने की नवीनतम धमकी मिली है, जब तक कि बीजिंग अमेरिकी उत्पादों पर हाल ही में लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं ले लेता. जवाब में चीन ने "अंत तक लड़ने" की कसम खाई है. अगर ट्रंप का टैरिफ कदम लागू होता है तो अमेरिका में चीनी निर्यात लगभग रुक जाएगा और मेटल जैसे प्रोडक्ट की डंपिंग दूसरे देशों में शुरू हो जाएगी. बदले में इससे वैश्विक धातु की कीमतें कम रहेंगी. मंगलवार की तेजी के बावजूद दलाल स्ट्रीट पर कई लोग इस बात से सहमत नहीं हैं कि सबसे बुरा समय बीत चुका है. भारत के स्थिर मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल वित्त वर्ष 26 में अपेक्षित 6% की वृद्धि और उचित मूल्यांकन-विशेष रूप से लार्जकैप में-लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए प्रमुख वित्तीय जैसे उच्च-गुणवत्ता वाले नामों में निवेश शुरू करने का यह अच्छा समय है. कुछ निवेशकों को फार्मास्युटिकल स्टॉक में भी अवसर दिख रहे हैं, जो आकर्षक कीमत पर बने हुए हैं.
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