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TCS discrimination case: जाति, उम्र और मूल के आधार पर दिग्गज आईटी कंपनी में भेदभाव? एक्शन मोड में EEOC

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देश की दिग्गज आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के खिलाफ अमेरिकी समान रोजगार अवसर आयोग (EEOC) ने जांच शुरू की है. कंपनी पर अमेरिका के कर्मचारियों ने भेदभाव के आरोप लगाए हैं. आरोपों में यह कहा गया है कि भारतीय कंपनी में उनके साथ नस्ल, आयु और राष्ट्रीय मूल के आधार पर भेदभाव किया गया. इस मामले की शुरुआत साल 2023 में उस समय हुई थी जब कई पूर्व कर्मचारियों ने (खासकर गैर दक्षिण एशियाई और 40 साल से अधिक उम्र के) आईईओसी में भेदभाव की शिकायत दर्ज की थी. ये लगाए आरोप टीसीएस के पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी ने एच-1बी कुशल कर्मचारी वीजा पर काम कर रहे भारतीय सह कर्मचारियों को प्राथमिकता दी और गैर दक्षिण एशियाई कर्मचारियों को छंटनी के लिए निशाना बनाया. अमेरिकी समान रोजगार अवसर आयोग के पास ऐसी दर्जनों शिकायतें आई. जिसके बाद अमेरिकी श्रमिकों के उन आरोपों कि सख़्ती से जांच की जा रही है. टीसीएस की सफाई अपने ऊपर लगे इन आरोपों पर टीसीएस के प्रवक्ता के द्वारा कहा गया कि टीसीएस के पास अमेरिका में समान अवसर प्रदान करने वाले नियोक्ता होने का मजबूत रिकॉर्ड है. किसी भी प्रकार के भेदभाव में लिप्त होने के लिए आरोप निराधार और भ्रामक है. वह किसी भी गलत काम में शामिल नहीं है और वीजा के नियमों का उल्लंघन भी नहीं कर रही है. EEOC का बयान इस मामले पर EEOC के प्रवक्ता का कहना है कि ये शिकायतें गोपनीय होती हैं, इसलिए वे जांच के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी नहीं कर सकते. हालांकि जांच में देखा जा रहा है कि क्या टीसीएस ने किसी भी प्रकार के कार्यवाही में पैटर्न या प्रैक्टिस के दौरान भेदभाव किया. व्यापक और व्यवस्थित भेदभाव सामने आने पर कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन दिया जा सकता है.मौद्रिक जुर्माना, निषेधाज्ञा, और सुधारात्मक कार्रवाइयों कभी कंपनी को सामना करना पड़ सकता है. इस कंपनी की जांच में सामने आया था भेदभाव साल 2020 में आईईओसी ने कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस नाम की भारतीय आउटसोर्सिंग कंपनी के खिलाफ जांच की थी. इस कंपनी के खिलाफ भी गैर भारतीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगे थे. जांच में इन आरोपों को सही पाया गया. इसके बाद कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन लिया गया.
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