डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो एक बार शुरू हो जाए, तो जीवनभर साथ चलती है। इसे नियंत्रित रखने के लिए लाखों लोग रोज़ शुगर कंट्रोल दवाओं का सेवन करते हैं। हालांकि, इन दवाओं से ब्लड शुगर लेवल तो काबू में रहता है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इनका दीर्घकालिक उपयोग शरीर पर कई प्रकार से असर डाल सकता है।
विशेषकर वे लोग जो सालों से दवाएं ले रहे हैं, उन्हें कुछ सामान्य और कुछ गंभीर दुष्प्रभावों से गुजरना पड़ सकता है। सवाल यह उठता है कि क्या इन दवाओं का नियमित सेवन पूरी तरह सुरक्षित है? आइए जानें एक्सपर्ट्स की राय।
शुगर कंट्रोल दवाओं के आम दुष्प्रभाव
पाचन संबंधी समस्याएं
डायबिटीज की सबसे आम दवा मेटफॉर्मिन के लंबे समय तक उपयोग से कुछ लोगों को अपच, गैस, दस्त या पेट में मरोड़ की शिकायत हो सकती है।
विटामिन B12 की कमी
मेटफॉर्मिन के लंबे उपयोग से शरीर में विटामिन B12 की कमी हो सकती है, जिससे थकान, सुस्ती और न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिख सकते हैं।
हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर का अचानक गिरना)
कुछ दवाएं जैसे सुल्फोनील यूरिया ग्रुप की दवाएं अचानक शुगर गिरा सकती हैं, जिससे कमजोरी, चक्कर और बेहोशी तक हो सकती है।
किडनी पर असर
कुछ दवाएं लंबे समय में किडनी फंक्शन को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में नियमित ब्लड और यूरिन टेस्ट जरूरी हो जाता है।
लिवर पर प्रभाव
कुछ एंटी-डायबेटिक दवाएं लिवर एंजाइम्स को बढ़ा सकती हैं, जिससे लीवर पर दबाव पड़ सकता है।
वजन में बदलाव
कुछ दवाएं वजन बढ़ा सकती हैं जबकि कुछ दवाएं वजन घटा सकती हैं। यह असर व्यक्ति की जीवनशैली पर भी निर्भर करता है।
एक्सपर्ट की राय: संतुलन और निगरानी है जरूरी
एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, बताते हैं:
“डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए दवाएं जरूरी हैं, लेकिन ये दवाएं भी तभी कारगर होती हैं जब मरीज नियमित रूप से फॉलो-अप करता है। साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए डॉक्टर की निगरानी और समय-समय पर टेस्ट बहुत जरूरी है।”
वे यह भी कहते हैं कि रोगी को अपनी जीवनशैली सुधारनी चाहिए ताकि लंबे समय में दवाओं पर निर्भरता कम की जा सके।
क्या करें साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए?
डॉक्टर के परामर्श के बिना दवाएं बंद या बदलें नहीं।
नियमित ब्लड शुगर, किडनी और लिवर फंक्शन टेस्ट कराते रहें।
संतुलित आहार लें और रोजाना व्यायाम करें।
विटामिन B12 और अन्य आवश्यक सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह से लें।
दवाओं के साथ पानी का पर्याप्त सेवन करें।
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