उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद के एक घर के आंगन में चारपाई पर 15 साल की मृत बच्ची के पिता गुमसुम बैठे हैं.
कुछ देर की ठहरी हुई चुप्पी के बाद वह कहते हैं, “मन यह मानने को तैयार ही नहीं है कि मेरी बच्ची ख़ुद से फांसी लगाकर मर सकती है.''
“इकलौती बेटी थी. मैंने कभी उसे किसी चीज़ के लिए मना ही नहीं किया. जब वो एक साल की थी तब उसकी माँ उसे छोड़कर चली गयी थी. मेरी बहन ने उसे 13 साल अपने साथ अपने घर पर रखा. अभी एक साल भी उसे मेरे साथ रहते हुए पूरा नहीं हुआ था. वो खुद से कभी नहीं मर सकती.”
यह कहते कहते उनका गला रुंधने लगता है.
लखनऊ से क़रीब 250 किलोमीटर दूर फ़र्रुख़ाबाद ज़िले का यह गाँव पिछले दिनों उस वक़्त चर्चा में आया, जब दो दलित लड़कियों के शव 27 अगस्त की सुबह एक पेड़ पर लटके मिले.
जिसमें एक की उम्र 15 साल थी, दूसरी 18 साल की थी. दोनों का घर क़रीब ही है और घर के आस-पास के लोगों ने बताया कि दोनों अच्छी दोस्त थीं.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें15 वर्षीय बच्ची के पिता ने बताया, “जब बिटिया को पेड़ पर लटके हुए देखा, हम बेहोश होकर गिर पड़े. हमें नहीं पता था कि पहले एफ़आईआर दर्ज कराएं या डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाएँ. पुलिस ने जैसा कहा हमने वैसा किया.”
26 अगस्त की रात को जन्माष्टमी वाले दिन दोनों लड़कियां घर से कुछ दूर के मन्दिर में कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी देखने गयी थीं.
पूरे मोहल्ले के लोग इकट्ठा हुए थे. रात क़रीब एक बजे जब कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा हो गयी तो ये लड़कियां घर नहीं पहुंचीं.
परिजन इन्हें खोजने लगे. दो ढाई घंटे खोजने के बाद जब ये नहीं मिलीं तो परिजन ये सोचकर घर आ गए कि रात में नींद में किसी के घर लेट गई होंगी और सुबह आ जाएंगी.
BBC दोनों लड़कियों के घर पर मातम पसरा है पुलिस ने क्या कहा?उम्र में बड़ी मृत लड़की के पिता ने बताया, “गाँव के कुछ लोग सुबह करीब साढ़े पांच छह बजे शौच करने बगीचे में गए थे. उन्होंने पेड़ की डाल से लड़कियों को लटकते हुए देखा. फिर हमने वहां जाकर देखा तो पता चला कि ये तो हमारी बेटी है. दोनों बच्चियां एक ही आम की डाल पर अपने-अपने दुपट्टे से लटकी मिलीं.”
15 वर्षीय मृतका की बुआ ने कहा, “हमने उसे बहुत प्यार से पाला था. अगर ऐसा जानते तो उसे यहाँ नहीं भेजते. जितने आरोपी हैं सबको पकड़ा जाए. अगर उसे मरना होता तो घर में ही मर जाती, अकेले ही रहती थी. रात में बगीचे में क्यों गई मरने?”
मामले में फ़र्रुख़ाबाद पुलिस ने दीपक और पवन नामक दो अभियुक्तों को हिरासत में लिया है.
दोनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ परिजनों ने 29 अगस्त को नामज़द एफ़आईआर दर्ज़ करवाई थी.
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 के तहत मामला दर्ज किया है. इसमें आत्महत्या के लिए उकसाने पर दस साल की क़ैद और जुर्माने का प्रावधान है.
फ़र्रुख़ाबाद पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी ने बीबीसी से कहा, ''पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई ऐसे बिंदु निकले हैं जो आत्महत्या दिखाते हैं. परिजनों की जो तहरीर आयी है उसी के आधार पर हमने रिपोर्ट लिखी है. दोनों नामज़द आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं.”
हालांकि, परिजन पुलिस की इस बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते हैं और वो इस मामले में सीबीआई या सीआईडी जांच की मांग कर रहे हैं.
एक अभियुक्त मृत लड़कियों के गाँव का ही रहने वाला है जबकि दूसरा अभियुक्त गाँव से करीब पांच किलोमीटर दूर दूसरे गाँव का है.
दीपक की इन लड़कियों के गाँव में ही सिलाई की दुकान है और पवन यहाँ सिलाई सीखने आता था. पीड़ित और अभियुक्त पक्ष दोनों एक ही समुदाय से आते हैं.
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स्थानीय पुलिस का दावा है,"दोनों अभियुक्त मृतक लड़कियों को बात करने के लिए प्रताड़ित करते थे जबकि लड़कियां उन्हें मना करती थीं. अभियुक्तों ने ही उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया है."
मृतका के पिता कहते हैं, “पुलिस ने दो लड़कों को पकड़ कर प्यार मोहब्बत की बात कह दी. हमारी तो लड़की भी गयी और बदनामी भी हुई. पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाना लिख दिया. कुछ दिन केस चलेगा फिर बंद हो जाएगा. जो जायज़ है उनपर हत्या की धाराएं लगें. सरकार फिर उन्हें जो सजा देगी हमें मंजू़र है.”
18 साल की लड़की के पिता ने आरोप लगाया, ''बेटी की पीठ लाल थी जिसे देखकर चोट के निशान समझ आ रहे थे. ये बात एसपी सर को बताई भी थी. उन्होंने कहा था कि फ़िक्र न करें, पुलिस आपके साथ है. हमने शुरू से पुलिस पर भरोसा किया लेकिन एफ़आईआर देखकर दुख हुआ कि पुलिस ने आत्महत्या लिख दिया जबकि हमने शुरू से हत्या की बात कही थी.''
इसी मृतका की माँ कहती हैं, “वो किसी से बात करती थी, मुझे इसकी जानकारी नहीं थी. अगर पता होता तो उसे समझाते. इसमें मरने जैसी क्या बात थी. घर में रहकर वो सिलाई करती थी. कभी कोई ऐसी बात ही नहीं पता चली. वो खुद से क्यों मरी, यही बात हमें समझ नहीं आ रही.”
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एक अभियुक्त के पिता ने कहा, “अगर मेरा बेटा क़ातिल है तो उसे सजा मिले. उन लड़कियों के मरने का हमें भी बहुत दुख है. वो हमारी रिश्तेदारी में ही आती है. पहले पुलिस ने हमसे पूछताछ की. बाद में हमने बेटे को खुद ही पुलिस को सौंप दिया ताकि वो उसकी पिटाई न करें.”
अभियुक्त के परिवार ने यह भी शंका ज़ाहिर की कि ‘हो सकता है किसी और ने लड़कियों को मारा हो लेकिन कॉल डिटेल की वजह से हमारे लड़के फँस गये हों. अगर सही जाँच होगी तो हमारा बेटा ज़रूर निर्दोष साबित होगा.’
जिन निशान और घावों को देखकर परिजन मारपीट की आशंका ज़ाहिर कर रहे थे, उसे पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने ख़ारिज़ कर दिया.
इस मामले में पैनल में पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल ऑफ़िसर डॉ. विशाल पटेल कहते हैं, “रिपोर्ट के अनुसार दोनों लड़कियों ने सुसाइड किया है. एक लड़की के नाक से तरल पदार्थ निकल रहा था. एक लड़की के एक पैर में खरोंच आई है.”
क्या मौत से पहले इन्होंने संघर्ष किया है, ऐसा कुछ रिपोर्ट में मिला?
इस सवाल के जवाब में डॉ विशाल पटेल ने कहा, “नहीं ऐसे कोई निशान नहीं मिले. जो निशान थे वो बहुत मामूली थे. बाहरी कोई चोट नहीं है. दोनों की मौत फांसी से हुई है.”
BBC वो रास्ता जहां से लड़कियां आम के बगीचे तक पहुंचीं पुलिस पर परिजनों ने क्या-क्या आरोप लगाए?परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उन पर जल्द से जल्द अंतिम संस्कार का दवाब डाला था लेकिन किसी भी तरह के बवाल न होने के आश्वासन पर उन्होंने अपने हिसाब से अंतिम संस्कार किया.
आपको कब पता चला कि आपकी बेटियों ने आत्महत्या की है?
इस सवाल के जवाब में बड़ी लड़की के पिता ने कहा, “जब बेटियों का अंतिम संस्कार करके घर लौटे उस दिन रात में मैंने सोशल मीडिया पर पहली बार एसपी सर का वीडियो देखा, जिसमें उन्होंने कहा कि लड़कियों ने आत्महत्या की है. मैं ये सुनकर परेशान हो गया. मुझे पहली बार तभी पता चला कि हमारी लड़कियों ने आत्महत्या की है.”
परिजनों के अनुसार 29 अगस्त को जब सुबह वो लोग एक एप्लिकेशन लिखकर तैयार हुए तो पुलिस उन्हें नज़दीक का थाना बताकर 10-12 किलोमीटर दूर ले गयी.
जहाँ उन्हें काफ़ी देर बिठाया. फिर पुलिस ने लड़कियों के पिता को सीडीआर रिपोर्ट दिखाई जिसमें बताया कि आपकी लड़कियां इन लड़कों से दो तीन महीने से बात करती थीं.
घटना वाले दिन भी बात हुई थी पर उससे पहले चार पांच दिन बात नहीं हुई थी.
मृतका के पिता ने बताया, “मैं ये बार-बार कहता रहा कि लड़कियों की हत्या हुई है. पुलिस ने ये बात नहीं लिखी. अभी भी पुलिस मुझे आश्वासन दे रही है कि बारीक़ी से जांच कर रहे हैं. जैसे ही आगे की रिपोर्ट आएगी वो कार्रवाई करेंगे.”
UP Police फ़र्रुख़ाबाद के एसपी आलोक प्रियदर्शी परिजनों के आरोपों पर पुलिस का पक्षपरिजनों के लगाए आरोपों पर अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी का कहना है कि जो परिवार की तरफ़ से कहा गया, वही एफ़आईआर में दर्ज हुआ है.
उन्होंने आगे कहा, “फॉरेंसिक टीम मौके पर तुरंत पहुंच गयी थी. उस टीम ने कई बिन्दुओं पर जांच की है. जांच में जो बिंदु निकलकर आये हैं उसे भी हम केस डायरी का पार्ट बनायेंगे. पोस्टमार्टम और हमारी जांच में जो सबूत मिले हैं उसी आधार पर हम आत्महत्या कह रहे हैं. अभी इससे ज़्यादा जानकारी नहीं दे सकते हैं क्योंकि अभी जांच चल रही है.”
इस घटना के बाद बड़ी लड़की के पिता का सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी वायरल हुआ था.
जिसमें वो कह रहे हैं कि पुलिस का उनके ऊपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है और अंतिम संस्कार हम लोगों ने अपनी मर्जी से किया है.
इस वीडियो के बारे में पूछे जाने पर पिता ने दावा किया उन्होंने ये बयान स्थानीय पुलिस के कहने पर रिकॉर्ड कराया था. क्यों कराया था, इस पर उन्होंने कहा कि पुलिस वाले लगातार कह रहे थे कि पूरे मामले को लेकर कप्तान साहब नाराज़ हैं.
हालांकि एसपी ने इन दावों को झूठ बताया है.
BBC छोटी लड़की के सामान को दिखाते पिता, उन्होंने उसके सभी कपड़े उसी दिन जला दिये पुलिस की कार्रवाई पर उठते सवालइस मामले में ज़िला पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं.
सीनियर एडवोकेट इंद्र भूषण सिंह पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं.
इंद्र भूषण का कहना है कि इस तरह के मामलों में पहले एफ़आईआर लिखनी चाहिए जबकि पुलिस ने ऐसा नहीं किया?
इंद्र भूषण सिंह के मुताबकि, “पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद एफ़आईआर लिखी जा रही है. इसका मतलब साफ़ है पुलिस जैसा चाह रही है वैसे एफ़आईआर दर्ज हो रही है.”
वहीं महिला मुद्दों पर लंबे समय से क़ानूनी सलाह देनी वालीं सीनियर वकील रेनू मिश्रा ने कहा, “दो जवान लड़कियां क्यों आत्महत्या करेंगी? उनके सुसाइड का क्या कारण था? पुलिस जो कारण बता रही है सिर्फ़ उस वजह से लड़कियां सुसाइड नहीं कर सकतीं. क्या कुछ और कारण तलाशने की कोशिश की गई? पुलिस ज्यादातर हत्या के मामलों को सुसाइड बना देती है ताकि उसे तफ्तीश न करनी पड़े. पुलिस की कोशिश केस जल्दी बंद करने की भी रहती है.”
रेनू मिश्रा का कहना है कि पुलिस ने अपना काम आसान करने के लिए दो लोगों के ख़िलाफ़ नामजद रिपोर्ट कर दी है.
अननैचुरल डेथ मामले में रिपोर्ट दर्ज करने से पहले पोस्टमार्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल खड़े किए हैं. कोलकाता रेप मामले में कोर्ट ने पूछा था कि जब मामले की जानकारी सुबह पांच बजे मिली थी तो रात 11.45 पर एफ़आईआर क्यों हुई?
फ़र्रुख़ाबाद वाले मामले में तो घटना 27 अगस्त की है और एफ़आईआर 29 अगस्त को लिखी गई थी. ऐसा क्यों हुआ, इस बारे ज़िला एसपी आलोक प्रियदर्शी ने कहा, “हमलोग तो परिवार वालों को पहले दिन से ही एफ़आईआर दर्ज करने को कह रहे थे, जब वे मानसिक तौर पर तैयार हुए तब उन्होंने एफ़आईआर दर्ज़ कराई.”
इस मामले में साइकोलॉजिस्ट नेहा आनंद कहती हैं, “इस मामले में कोई ना कोई हिडन पहलू ज़रूर है. एक समय पर दोनों लड़कियों की एक जैसी मन:स्थिति नहीं हो सकती है.”
शायद पुलिस की जांच और पड़ताल से ही यह पहलू उजागर हो सकता है, लेकिन इस पूरे मामले को लेकर पुलिस भी लगातार सवालों के घेरे में है.
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(आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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