पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने इस्लामाबाद में ओवरसीज़ पाकिस्तानी कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भारत के साथ पुराने तनाव को हवा देने की भरपूर कोशिश की.
ओवरसीज़ पाकिस्तानी कन्वेंशन 13 से 16 अप्रैल तक इस्लामाबाद में आयोजित किया गया था. यह इस तरह का पहला आयोजन था.
जनरल मुनीर ने इस कन्वेंशन को संबोधित करते हुए 'टू नेशन थिअरी' की बात की, कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस कहा और साथ ही हिन्दू और मुसलमानों के बीच फ़र्क़ को रेखांकित किया. जनरल मुनीर ने कहा कि दुनिया की कोई भी शक्ति कश्मीर को पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकती है.
जनरल मुनीर ने कहा, ''हम एक नहीं दो राष्ट्र हैं. हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम हर आयाम में हिन्दुओं से अलग हैं. हमारा मज़हब, रिवाज, परंपरा, सोच और मक़सद सब अलग हैं.''
जनरल मुनीर की यह टिप्पणी तब आई है, जब कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र में भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी बहस हुई थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने पीसकीपिंग रिफॉर्म पर बहस के दौरान कश्मीर का हवाला दिया था.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत पर्वतानेनी हरीश ने पाकिस्तान के बयान को ख़ारिज करते हुए कहा था कि कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा. हरीश ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपने कब्ज़े वाले कश्मीर को भी ख़ाली करे.
जनरल मुनीर ने बलूचिस्तान में विद्रोह को लेकर भी कहा कि 'आतंकवादियों की 10 पुश्तें भी बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकती हैं.'
जनरल मुनीर ने कहा, ''क्या आपको लगता है कि ये आतंकवादी हमारे मुल्क के भविष्य को बाधित कर सकते हैं? अगर भारतीय सेना के 13 लाख सैनिक हमें डरा नहीं सके तो ये आतंकवादी हमारा क्या बिगाड़ लेंगे? क्या पाकिस्तान के दुश्मन वाक़ई ऐसा सोचते हैं कि 1500 आतंकवादी हमारे मुल्क के भविष्य को तय करेंगे? हम इन आतंकवादियों को जल्द ही ख़त्म कर देंगे.''
जनरल मुनीर के इन बयानों में हिन्दू और मुसलमानों के बीच फ़र्क़ वाली बात पर विवाद ज़्यादा हो रहा है.
पाकिस्तान के ही कई लोग कह रहे हैं कि जनरल मुनीर के इस बयान से पाकिस्तान में हिन्दुओं के प्रति नफ़रत बढ़ेगी. पाकिस्तान में हिन्दू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है.
ताहा सिद्दीक़ी निर्वासित पाकिस्तानी हैं और पेरिस में रहते हैं. सिद्दीक़ी पत्रकार हैं और पश्चिम के मीडिया में लिखते हैं.
इन्होंने जनरल मुनीर के वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए , ''पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने हिन्दुओं के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाते हुए टू नेशन थिअरी की वकालत की है. यह थिअरी 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद औंधे मुँह गिर गई थी. जनरल मुनीर ने पाकिस्तानी बच्चों को झूठ बताने पर ज़ोर दिया. ज़ाहिर है कि इससे युवाओं का ब्रेनवॉश करना आसान हो जाता है. यह शर्मनाक है.''
बलूचिस्तान कननड्रम किताब की लेखिका हैं. इन्होंने भी जनरल मुनीर के वीडियो क्लिप को रीपोस्ट करते हुए लिखा है, ''11 अगस्त 1947 के अपने संबोधन में जिन्ना ने टू नेशन थिअरी को नकार दिया था. यह शर्मनाक है कि आपको इसका तनिक भी अंदाज़ा नहीं है कि पाकिस्तान में हिन्दू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है. लेकिन शर्म की अवधारणा से शायद आप अनजान हैं.''
पाकिस्तानी लेखक और रिसर्चर ने जनरल मुनीर के हिन्दू और मुसलमान में फ़र्क़ वाले बयान पर लिखा है, ''50 लाख से ज़्यादा पाकिस्तानी नागरिक हिन्दू हैं. सैकड़ों सेना में हैं और हज़ारों सरकार में हैं. ऐसे में यह कितना सही है कि एक पेशेवर सेना का प्रमुख सार्वजनिक रूप से हिन्दू और मुसलमानों के बीच फ़र्क़ बताए?''
पाकिस्तान की सूफ़ी स्कॉलर और पत्रकार ने जनरल मुनीर के वीडियो क्लिप पर कहा, ''पहला सवाल तो यही है कि हमारा कौन? अगर हिन्दुओं और मुसलमानों की बात हो रही है तो भारत में 20 करोड़ मुसलमान रहते हैं. अगर आपकी सोच के हिसाब से चला जाए तो ये 20 करोड़ मुसलमान भी बाक़ी भारतीयों से अलग हैं. तो क्या पाकिस्तान अपने 24 करोड़ मुसलमानों में 20 करोड़ भारतीय मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है? क्या भारत के मुसलमान भी पाकिस्तान में शामिल होना चाहते हैं? और जिन 10 लाख अफ़ग़ान मुसलमानों को वापस भेजा जा रहा है, उनके बारे में क्या ख़्याल है? ये तो दशकों से पाकिस्तान में रह रहे हैं. क्या इन पर टू नेशन थिअरी लागू नहीं होती?''

सबाहत ज़कारिया ने कहा, ''अगर इंडिया में हिन्दू और मुसलमान बिल्कुल अलग हैं तो ये मुसलमान बाहर से आए कैसे? यानी मुसलमान हमलावर थे और जबरदस्ती हिन्दुओं के इलाक़ों पर कब्ज़ा किया. लेकिन आप तो इस तरह के कब्ज़ों के ख़िलाफ़ हैं और इसी के आधार पर फ़लस्तीनी इलाक़ों में इसराइल के कब्ज़े का विरोध करते हैं. इसराइल ने जिस तरह से ताक़त का इस्तेमाल कर मुल्क बनाया क्या उसी तरह मुसलमानों ने ताक़त का इस्तेमाल कर हिन्दू इलाक़े पर पाकिस्तान बनाया है?''
सबाहत ने कहा, ''ऐसे में आप ये तर्क दे सकते हैं कि इस्लाम हिन्दुस्तान में ज़ोर जबरदस्ती के दम पर नहीं आया बल्कि सूफ़ियों और बेहतर नज़रियात के दम पर फैला है. यानी हम कन्वर्टेड हैं. तो हम हैं वही बस मज़हब बदला है. जब हमने मज़हब तब्दील कर लिया तो कह रहे हैं कि जो हमसे अलग सोच रखता है, उसके साथ नहीं रह सकते. तो हमारा मज़हब इतना तंग नज़र है कि हमसे अलग सोच के साथ नहीं रह सकता? या फिर पाकिस्तान का आइडिया तंग नज़र है?''
पाकिस्तानी इतिहासकार इश्तियाक़ अहमद ने एक पोस्ट कर कहा है, ''जनरल आसिम मुनीर ने जो कहा, उसका मतलब यही है कि हिन्दुस्तान से दोस्ती नहीं हो सकती है. मसला तो यह है कि टू नेशन थिअरी ने ही मुसलमानों के टुकड़े किए. भारत के मुसलमान अलग रह गए, बांग्लादेश के मुसलमान भी अलग हो गए. ज़ुबान, संस्कृति, संगीत और खान-पान सब हिन्दुस्तान की तरह ही है लेकिन जनरल मुनीर को लगता है कि हिन्दुओं से अलग हैं.''
इश्तियाक़ अहमद ने कहा, ''चलो मान लेते हैं कि अलग हैं लेकिन चीन से क्या समानता है जो हम उसके साथ नत्थी हो गए हैं? चीनी तो नास्तिक हैं. पाकिस्तान को तबाही की तरफ़ ले जाने के लिए ये सारी बातें हो रही हैं. अलग मुल्क बना लिया है लेकिन कामयाबी से चलाकर दिखाओ. अगर हिन्दुओं के साथ समानता नहीं है तो क्या दुश्मनी रखना अनिवार्य है? सिंधी आपसे ख़ुश नहीं हैं. बलोच बेचैन हैं और फिर से टू नेशन थिअरी की बात कर रहे हैं. इससे कुछ हासिल नहीं होना है.''
इश्तियाक़ अहमद ने कहा, ''हिन्दुओं और मुसलमान ने मिलकर ब्रिटिश शासन से आज़ादी की लड़ाई की थी. पाकिस्तान में जितने कॉलेज, यूनिवर्सिटी और अस्पताल हैं, सब हिन्दुओं ने बनाए थे. बार-बार दुश्मनी के माहौल बनाने से कुछ हासिल नहीं होना है. पाकिस्तान की आर्मी जब हर तरफ़ से नाकाम होती है तो टू नेशन थिअरी का राग छेड़ देती है.''
पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार नजम सेठी ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल से बातचीत में कहा कि जनरल मुनीर ने अपने भाषण के ज़रिए दो-तीन संदेश दिए हैं.
नजम सेठी ने कहा, ''ओवरसीज पाकिस्तानी इमरान ख़ान का समर्थन करते हैं. यह पाकिस्तान की सेना के मौजूदा नेतृत्व और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय रहा है. पहली बार प्रवासी पाकिस्तानियों को बुलाया गया और उन्हें सेना प्रमुख ने देश भक्त कहा. यानी उन्हें अपने पाले में लाने के लिए कहा कि भले आप इमरान ख़ान का समर्थन करते हैं लेकिन आप देशभक्त हैं.''
नजम सेठी ने कहा, ''जनरल मुनीर ने बलूचिस्तान के बारे में तसल्ली दी है. बड़े अरसे से कश्मीर की बात नहीं हो रही थी. अब बलूचिस्तान के साथ कश्मीर की बात करके भारत को पैगाम देने कोशिश की गई है. यह बहुत ही मज़बूत संदेश है.''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
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