अगली ख़बर
Newszop

एग्ज़िट पोल कैसे किया जाता है? जानिए पिछले चुनावों में कितने सटीक रहे अनुमान

Send Push
ANI

बिहार में मंगलवार को मतदान का दूसरा और आख़िरी चरण चल रहा है. इसके बाद 14 नवंबर को मतों की गिनती होगी और अंतिम परिणाम घोषित किए जाएंगे.

लेकिन वोटों की गिनती से दूसरे चरण का मतदान ख़त्म होते ही सभी पोल एजेंसियां और न्यूज़ चैनल एग्ज़िट पोल जारी कर देंगे.

बिहार चुनाव के एग्ज़िट पोल्स क्या कहते हैं, यह तो मंगलवार को मतदान थमने के बाद ही पता चल जाएगा लेकिन उससे पहले एग्ज़िट पोल्स से जुड़ी कुछ अहम बातों को समझने की कोशिश करते हैं.

इसके अलावा ये भी देखेंगे कि अतीत में हुए कुछ एग्ज़िट पोल और असली नतीजों में कितना फ़र्क रहा था.

एग्ज़िट पोल्स से जुड़े मुद्दों को समझने के लिए बीबीसी ने जाने-माने चुनावी विश्लेषक और सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग स्टडीज़ (सीएसडीएस)-लोकनीति के सह निदेशक प्रोफ़ेसर संजय कुमार से बात की.

ये आर्टिकल पहली बार 31 मई 2024 को बीबीसी न्यूज़ हिन्दी की बेवसाइट पर प्रकाशित हुआ था.

एग्ज़िट पोल क्या होता है और कैसे किया जाता है?

एग्ज़िट का मतलब होता है बाहर निकलना. इसलिए एग्ज़िट शब्द ही बताता है कि यह पोल क्या है.

जब मतदाता चुनाव में वोट देकर बूथ से बाहर निकलता है तो उससे पूछा जाता है कि क्या आप बताना चाहेंगे कि आपने किस पार्टी या किस उम्मीदवार को वोट दिया है.

एग्ज़िट पोल कराने वाली एजेंसियां अपने लोगों को पोलिंग बूथ के बाहर खड़ा कर देती हैं. जैसे-जैसे मतदाता वोट देकर बाहर आते हैं, उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया.

कुछ और सवाल भी पूछे जा सकते हैं, जैसे प्रधानमंत्री पद के लिए आपका पसंदीदा उम्मीदवार कौन है वग़ैरह.

आम तौर पर एक पोलिंग बूथ पर हर दसवें मतदाता या अगर पोलिंग स्टेशन बड़ा है तो हर बीसवें मतदाता से सवाल पूछा जाता है. मतदाताओं से मिली जानकारी का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे.

  • चुनाव लड़ने के लिए नामांकन प्रक्रिया क्या है और नॉमिनेशन फॉर्म कब खारिज हो सकता है
  • ईवीएम, वीवीपैट की पूरी कहानी: सभी अहम सवालों के जवाब जानिए
  • वोटर लिस्ट में अपना नाम कैसे रजिस्टर कराएं?
भारत में कौन-कौन सी प्रमुख एजेंसियां हैं जो एग्ज़िट पोल करती हैं?

सी-वोटर, एक्सिस माई इंडिया, सीएनएक्स भारत की कुछ प्रमुख एजेंसिया हैं. चुनाव के समय कई नई-नई कंपनियां भी आती हैं जो चुनाव के ख़त्म होते ही ग़ायब हो जाती हैं.

एग्ज़िट पोल से जुड़े नियम-क़ानून क्या हैं?

रिप्रेज़ेन्टेशन ऑफ़ द पीपल्स एक्ट, 1951 के सेक्शन 126ए के तहत एग्ज़िट पोल को नियंत्रित किया जाता है.

भारत में, चुनाव आयोग ने एग्ज़िट पोल को लेकर कुछ नियम बनाए हैं. इन नियमों का मक़सद यह होता है कि किसी भी तरह से चुनाव को प्रभावित नहीं होने दिया जाए.

चुनाव आयोग समय-समय पर एग्ज़िट पोल को लेकर दिशानिर्देश जारी करता है. इसमें यह बताया जाता है कि एग्ज़िट पोल करने का क्या तरीक़ा होना चाहिए. एक आम नियम यह है कि एग्ज़िट पोल के नतीजों को मतदान के दिन प्रसारित नहीं किया जा सकता है.

चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से लेकर आख़िरी चरण के मतदान ख़त्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्ज़िट पोल को प्रसारित नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा एग्ज़िट पोल के परिणामों को मतदान के बाद प्रसारित करने के लिए, सर्वेक्षण-एजेंसी को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है.

  • एनआरआई को मतदान का अधिकार है या नहीं? क्या हैं मतदान के विकल्प?
  • देश में कहां-कहां और कैसे मिलता है मुस्लिम समुदाय को आरक्षण
  • एग्ज़िट पोल क्या होता है और इन पर कितना यक़ीन करना चाहिए?
image Getty Images क्या एग्ज़िट पोल के अनुमान आमतौर पर सही होते हैं?

आम लोगों को समझाने की कोशिश करते हुए प्रोफ़ेसर संजय कुमार से इसे मौसम विभाग के अनुमान से जोड़ कर देखते हैं.

वो कहते हैं, “एग्ज़िट पोल के अनुमान भी मौसम विभाग के अनुमान जैसे होते हैं. कई बार बहुत सटीक होते हैं, कई बार उसके आस-पास होते हैं और कई बार सही नहीं भी होते हैं. एग्ज़िट पोल दो चीज़ों का अनुमान लगाता है. वोट प्रतिशत का अनुमान लगाता है और फिर उसके आधार पर पार्टियों को मिलने वाली सीट का अनुमान लगाया जाता है.”

संजय कुमार कहते हैं, “2004 का चुनाव हमें नहीं भूलना चाहिए. उसमें तमाम एग्ज़िट पोल्स में कहा गया था कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार दोबारा सत्ता में आएगी लेकिन सारे एग्ज़िट पोल्स ग़लत साबित हुए और बीजेपी चुनाव हार गई.”

कई बार अलग-अलग एग्ज़िट पोल अलग-अलग अनुमान लगाते हैं, ऐसा क्यों?

इस सवाल के जवाब में भी प्रोफ़ेसर संजय कुमार एक उदाहरण देते हुए कहते हैं, “कई बार एक ही बीमारी को लेकर अलग-अलग डॉक्टर अलग-अलग तरह से जाँच करते हैं. एग्ज़िट पोल्स के बारे में भी ऐसा हो सकता है. उसका कारण यह हो सकता है कि अलग-अलग एजेंसियों ने अलग-अलग सैंपलिंग या अलग तरह से फ़ील्ड वर्क किया हो. कुछ एजेंसियां फ़ोन से डेटा जमा करती हैं, जबकि कुछ एजेंसियां अपने लोगों को फ़ील्ड में भेजती हैं तो नतीजे अलग हो सकते हैं.”

  • मंडी में लोगों का मूड क्या है? कंगना या विक्रमादित्य
  • ग़ाज़ीपुर में कौन भारी, अफ़ज़ाल अंसारी या बीजेपी के पारसनाथ राय
  • लोकसभा चुनाव 2024: मिर्ज़ापुर में अनुप्रिया पटेल को लोग कैसे देख रहे हैं?
image Getty Images भारत में एग्ज़िट पोल पहली बार कब हुआ था?

भारत में दूसरे आम चुनाव के दौरान 1957 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक ओपिनियन ने पहली बार चुनावी पोल किया था.

इसके प्रमुख एरिक डी कॉस्टा ने चुनावी सर्वे किया था, लेकिन इसे पूरी तरह से एग्ज़िट पोल नहीं कहा जा सकता है.

उसके बाद 1980 में डॉक्टर प्रणय रॉय ने पहली बार एग्ज़िट पोल किया. उन्होंने ही 1984 के चुनाव में दोबारा एग्ज़िट पोल किया था.

उसके बाद 1996 में दूरदर्शन ने एग्ज़िट पोल किया. यह पोल पत्रकार नलिनी सिंह ने किया था लेकिन इसके आंकड़े जुटाने के लिए सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवेलपिंग स्टडीज़ (सीएसडीएस) ने फ़ील्ड वर्क किया था.

उसके बाद से यह सिलसिला लगातार जारी है. लेकिन उस समय एक दो एग्ज़िट पोल होते थे, जबकि आजकल दर्जनों एग्ज़िट पोल्स होते हैं.

क्या दुनिया के दूसरे देशों में भी एग्ज़िट पोल किया जाता है?

भारत से पहले कई देशों में एग्ज़िट पोल होते रहे हैं. अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया समेत दुनिया भर के कई देशों में एग्ज़िट पोल होते हैं.

सबसे पहला एग्ज़िट पोल संयुक्त राज्य अमेरिका में 1936 में हुआ था. जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क शहर में एक चुनावी सर्वेक्षण किया, जिसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा गया कि उन्होंने किस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वोट दिया है.

इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया गया कि फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट चुनाव जीतेंगे.

रूज़वेल्ट ने वास्तव में चुनाव जीता. इसके बाद, एग्ज़िट पोल अन्य देशों में भी लोकप्रिय हो गए. 1937 में, ब्रिटेन में पहला एग्ज़िट पोल हुआ. 1938 में, फ्रांस में पहला एग्ज़िट पोल हुआ.

अब बात करते हैं भारत में हुए एग्ज़िट पोल्स की. सबसे पहले बात 2019 के लोकसभा चुनाव की

लोकसभा चुनाव, 2019

2019 के लोकसभा चुनाव के ज़्यादातर एग्ज़िट पोल में भाजपा और एनडीए को 300 से ज़्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था. जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन को 100 के आसपास सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी.

असली नतीजे एग्ज़िट पोल में लगाए गए अनुमान के अनुरूप ही थे. भाजपा को 303 सीटें मिली थीं और एनडीए को क़रीब 350 सीटें थीं. वहीं कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिली थीं.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव, 2021

साल 2021 में केरल, असम, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए थे. लेकिन सबकी निगाहें पश्चिम बंगाल पर टिकी थीं.

ज़्यादातर एजेंसियों ने 292 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 100 से ज़्यादा सीटें दी थीं और जन की बात नाम की एक एजेंसी ने तो बीजेपी को 174 सीटें तक मिलने का अनुमान लगाया था.

कुछ एजेंसियों ने टीएमसी को बढ़त दिखाई थी लेकिन कुछ ने तो यहां तक कहा था कि बीजेपी पहली बार पश्चिम बंगाल में सरकार बना सकती है.

  • बीजेपी कैसे चला रही है व्हाट्सऐप अभियान और लोग कैसे करते हैं भरोसा
  • विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे संविधान और आरक्षण के मुद्दों का दलितों पर कैसा असर
  • लोकसभा चुनाव 2024 : आपका निजी डेटा कैसे पहुँच जाता है, राजनीतिक पार्टियों के पास
image BBC

लेकिन जब नतीजे आए तो ममता बनर्जी की टीएमसी एक बार सत्ता में वापस लौटी और बीजेपी ने 2016 में मिली तीन सीटों की तुलना में तो बहुत बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन वो क़रीब 75 सीटों तक ही पहुंच पाई और सरकार बनाने से बहुत दूर ही रह गई.

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2022

नवंबर-दिसंबर, 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए थे. गुजरात के एग्ज़िट पोल्स की बात करें तो इनमें बीजेपी को फिर से सत्ता में लौटते हुए दिखाया गया था और 182 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 117 से लेकर 148 सीटें मिलने तक का अनुमान लगाया गया था.

सभी एग्ज़िट पोल्स में विपक्षी कांग्रेस को 30 से लेकर 50 सीटें तक मिलने की उम्मीद जताई गई थी. लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी ने राज्य में अपना सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 156 सीटें हासिल कीं जबकि कांग्रेस ने अपना सबसे ख़राब प्रदर्शन किया और सिर्फ़ 17 सीटें ही जीत सकी.

image BBC

हिमाचल प्रदेश में ज़्यादातर एजेंसियों ने एग्ज़िट पोल्स में बीजेपी को बढ़त दी थी. इंडिया टुडे-एक्सिस माई ने कांग्रेस को बढ़त दी थी. लेकिन जब नतीजे आए तो 68 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर सरकार बना ली जबकि बीजेपी को केवल 25 सीटें ही मिल सकीं.

image BBC कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव, 2023

कर्नाटक में अप्रैल-मई, 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे. यहां एकाध को छोड़कर ज़्यादातर एजेंसियों ने कहा था कि कांग्रेस का प्रदर्शन बीजेपी से बेहतर होगा. नतीजे भी कमोबेश उसी अनुमान के मुताबिक़ आए. फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था कि कांग्रेस का प्रदर्शन ज़्यादातर अनुमान से बेहतर था. 224 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 43 प्रतिशत वोटों के साथ 136 सीटें जीत ली थीं.

यह पिछले तीन दशकों में राज्य में कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी जीत थी. बीजेपी केवल 65 सीटें हासिल कर पाई थी और जनता दल-एस के खाते में केवल 19 सीटें आई थीं.

image BBC

नवंबर-दिसंबर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिज़ोरम में चुनाव हुए थे.

image BBC

छत्तीसगढ़- सभी एजेंसियों ने एग्ज़िट पोल्स में कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर बताया था या फिर कांग्रेस को बढ़त दिखाई थी. 90 सीटों वाली विधानसभा में किसी भी एजेंसी ने कांग्रेस को 40 से कम सीटें मिलने का अनुमान नहीं लगाया था. बीजेपी को 25 से लेकर 48 सीटें तक मिलने का अंदाज़ा लगाया गया था.

लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी ने 54 सीटें जीतकर सरकार बनाया जबकि कांग्रेस को केवल 35 सीटें आईं.

मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं. एग्ज़िट पोल्स में बीजेपी को 88 से लेकर 163 सीटें तक मिलने का अनुमान लगाया गया था. जबकि कांग्रेस को कम से कम 62 और अधिकतम 137 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था.

  • फॉर्म 17 सी क्या है, जिसे चुनाव आयोग सार्वजनिक नहीं करना चाहता
  • लोकसभा चुनाव 2024: पटना साहिब इस बार रविशंकर प्रसाद के लिए कितनी बड़ी चुनौती
  • द लेंसः लोकसभा चुनाव में पक्षपात के आरोप कितने सही?
image BBC

लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी ने 163 सीटें हासिल की जबकि कांग्रेस केवल 66 सीटों पर सिमट गई.

राजस्थान

एबीपी न्यूज़-सी वोटर एग्ज़िट पोल में बीजेपी का पलड़ा भारी दिखा रहा था. राजस्थान में बीजेपी को कम से कम 77 और अधिकतम 128 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था. जबकि सत्ताधारी कांग्रेस को कम से कम 56 और ज़्यादा से ज़्यादा 113 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था.

image BBC

लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी को 115 सीटें मिली और कांग्रेस को 69 सीटें हासिल हुई. अन्य छोटे-मोटे दल और निर्दलीय को 15 सीटों पर जीत हासिल हुई.

तेलंगाना image BBC

एग्ज़िट पोल्स में लगभग एजेंसियों ने तेलंगाना में कांग्रेस को बढ़त दिखाई थी. कांग्रेस को कम से कम 49 और अधिकतम 80 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था. सत्ताधारी बीआरएस सभी एग्ज़िट पोल्स में सत्ता से बाहर होती हुई दिख रही थी. जब नतीजे आए तो कांग्रेस को 64 सीटें मिली जबकि बीआरएस को 39 सीटें मिली.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

  • मध्य प्रदेश: लोकसभा चुनावों में भाजपा की आक्रामक 'रणनीति' कितनी कारगर होगी?
  • लोकसभा चुनाव 2024: बंगाल में संदेशखाली कितना बड़ा चुनावी मुद्दा?
  • नरेंद्र मोदी का रोड शो और नीतीश कुमार के हाथ में बीजेपी का चुनाव चिह्न क्या कहता है?
  • लोकसभा चुनाव 2024: भारत में रहने वाले वे लोग जो वोट नहीं डाल सकते
  • लोकसभा चुनाव 2024: पहले और दूसरे चरण की वोटिंग के आंकड़ों में देरी पर क्यों उठ रहे हैं सवाल
  • भारत की अर्थव्यवस्था के अच्छे, बुरे और सबसे ख़राब पहलू
image
न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें