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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगी तो भारतीय कैसे होंगे प्रभावित?

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Getty Images हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हर साल 500 से 800 भारतीय छात्र-छात्राएं दाखिला लेते हैं

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने का अधिकार रद्द कर दिया है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने ट्रंप प्रशासन के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ मुकदमा दायर किया. बॉस्टन में दायर मुकदमे में यूनिवर्सिटी ने प्रशासन की कार्रवाई को कानून का 'स्पष्ट उल्लंघन' बताया.

इस मामले पर सुनवाई करते हुए अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन बॉरो ने फिलहाल ट्रंप प्रशासन के फ़ैसले पर रोक लगा दी है.

इससे पहले अमेरिकी गृह सुरक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के "क़ानून का पालन नहीं कर पाने के कारण अंतरराष्ट्रीय छात्र दाखिला कार्यक्रम को रद्द कर दिया है."

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क्रिस्टी नोएम ने इसे देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक 'चेतावनी' बताया. वहीं, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस क़दम को 'गैर-क़ानूनी' बताया.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, "हम अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों और स्कॉलर्स को दाखिला देने की क्षमता को बनाए रखने के अपने संकल्प पर कायम हैं. उन छात्रों और स्कॉलर्स के लिए जो 140 से अधिक देशों से यहां आते हैं और विश्वविद्यालय और इस राष्ट्र को समृद्ध बनाते हैं."

यूनिवर्सिटी का कहना है, "इस प्रतिशोधात्मक कार्रवाई से हार्वर्ड समुदाय और हमारे देश को गंभीर नुक़सान पहुंचने का ख़तरा है. यह हार्वर्ड के शैक्षणिक और शोध मिशन को भी कमजोर करता है."

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी है जिसमें भारत समेत दुनिया भर के हज़ारों छात्र पढ़ाई करते हैं.

ऐसे में सवाल है कि ट्रंप के इस फ़ैसले के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने की चाह रखने वाले भारतीय छात्र-छात्राओं पर क्या असर होगा?

डोनाल्ड ट्रंप बनाम हार्वर्ड यूनिवर्सिटी image BBC

अप्रैल 2025 में हार्वर्ड को अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय ने मांगों की एक सूची भेजी थी. यूनिवर्सिटी ने उन मांगों को अस्वीकार कर दिया था.

ट्रंप प्रशासन जिन बदलावों की मांग कर रहा था, उनमें निम्नलिखित हैं:

  • अमेरिकी मूल्यों के मुख़ालफ़त करने वाले छात्रों की सूचना सरकार की दी जाए
  • यह सुनिश्चित किया जाए कि हर शैक्षणिक विभाग का दृष्टिकोण विविधतापूर्ण हो
  • यूनिवर्सिटी के विभागों का ऑडिट करने के लिए सरकारी मान्यता प्राप्त बाहरी कंपनी को नियुक्त किया जाए
  • यहूदी विरोधी उत्पीड़न को सबसे अधिक बढ़ावा देने वाले विभागों की सूचना दी जाए
  • पिछले दो वर्षों में परिसर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए 'उल्लंघनों' के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए
  • विश्वविद्यालय की 'विविधता, समानता और समावेशन' की नीतियों और कार्यक्रमों को ख़त्म किया जाए

अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय ने कहा था कि यह सूची कैंपस में यहूदी विरोधी भावना से लड़ने के लिए बनाई गई थी. इस पत्र में मांग की गई थी कि यूनिवर्सिटी अपने प्रशासन, भर्ती और दाख़िले की प्रक्रियाओं में बदलाव करे.

हार्वर्ड ने इन मांगों को ख़ारिज करते हुए कहा था कि व्हाइट हाउस उस पर नियंत्रण की कोशिश कर रहा है.

इसके कुछ घंटों बाद ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की फ़ंडिंग रोकने का फ़ैसला किया था. अमेरिकी शिक्षा विभाग ने कहा था कि वह हार्वर्ड को दिए जाने वाले 2.2 अरब डॉलर के अनुदान और 6 करोड़ डॉलर के अनुबंधों पर तत्काल रोक लगा रहा है.

इसके बाद हार्वर्ड के प्रोफेसरों ने एक मुक़दमा दायर कर आरोप लगाया कि सरकार ग़ैर-क़ानूनी तरीके से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला कर रही है.

इससे पहले व्हाइट हाउस ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से 40 करोड़ डॉलर की संघीय फंडिंग वापस ले ली थी.

ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी पर यहूदी विरोधी भावना से लड़ने और अपने परिसर में यहूदी छात्रों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था.

इसके बाद, कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने ट्रंप प्रशासन की कई मांगों पर सहमति व्यक्त कर दी थी. विश्वविद्यालय के इस क़दम की कुछ छात्रों और शिक्षकों ने आलोचना की थी.

भारतीय छात्र-छात्राओं पर क्या असर होगा?

, हर साल 500 से 800 भारतीय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हैं.

वर्तमान सत्र में 140 से ज़्यादा देशों के 10 हज़ार 158 अंतरराष्ट्रीय छात्र यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं. इनमें भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या 788 है.

आशीष दीक्षित बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में सीनियर न्यूज़ एडिटर हैं और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में साल 2022-23 में फ़ेलो थे.

ट्रंप प्रशासन के फ़ैसले का भारतीय छात्रों पर क्या असर होगा?

आशीष दीक्षित इस सवाल पर बताते हैं, "हार्वर्ड में एडमिशन की चाह रखने वाले और हार्वर्ड में पढ़ाई कर रहे, दोनों तरह के छात्रों के लिए चिंता का माहौल है. अभी जो छात्र वहां पढ़ाई कर रहे हैं वो फ़ैसले के मुताबिक़ अब वहां पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. उन्हें किसी दूसरे विश्वविद्यालय में दाखिला लेना पड़ेगा या फिर हार्वर्ड को कोर्ट में जाकर इस पर स्टे लाना पड़ेगा."

शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 824 भारतीय स्टूडेंट्स हार्वर्ड में पढ़ाई कर रहे थे. पिछले पांच सालों में तीन हज़ार से ज़्यादा भारतीय छात्र-छात्राओं ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था.

से पता चलता है कि पिछले शैक्षणिक वर्ष में संस्थान में 6,700 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने दाखिला लिया था, जो इसके कुल छात्र संख्या का 27% है.

आशीष दीक्षित कहते हैं, "कोर्ट में तो लड़ाई चलती रहेगी लेकिन जिन्हें कुछ दिनों में अगले सेमेस्टर के लिए एडमिशन लेना है. तो उन छात्रों का क्या होगा? क्योंकि हो सकता है कि कोर्ट में मामला लंबा खिंच जाए. कई हज़ार छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है."

श्रेया मिश्रा रेड्डी को साल 2023 में जब हार्वर्ड में एडमिशन मिला था, तब उनके माता-पिता बहुत ख़ुश थे. अब, जब स्नातक होने का समय बिलकुल क़रीब है, उन्हें अपने परिवार को बुरी ख़बर देनी पड़ी है.

दरअसल अब ट्रंप प्रशासन के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के पंजीकरण पर रोक लगाने के आदेश के बाद शायद वो जुलाई में एग्ज़ीक्यूटिव लीडरशिप कार्यक्रम में स्नातक की डिग्री पूरी ना कर पाएं. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के क़ानून का पालन न करने की वजह से ये क़दम उठाया गया है.

में श्रेया कहती हैं, "हार्वर्ड में हर भारतीय पढ़ाई करना चाहता है. मेरे परिवार के लिए इस ख़बर के बारे में सुनना बहुत कठिन था. वे अभी भी इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं."

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्र राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. हार्वर्ड में भी अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है.

के डेटा से पता चलता है कि हार्वर्ड के शैक्षणिक सत्र 2023-2024 में अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने 38.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर ख़र्च किए. आवास, खाना और दूसरी सेवाओं के लिए भुगतान करते हुए इन छात्रों ने तीन हज़ार 900 नौकरियों को सपोर्ट किया है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े नामी-गिरामी भारतीय image BBC

भारत के कई जाने-माने लोगों ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. इनमें उद्योगपति से लेकर नेता और कलाकार शामिल हैं.

रतन टाटा: टाटा संस और टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे रतन टाटा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं. उन्होंने साल 1975 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की थी. पिछले साल 86 साल की उम्र में रतन टाटा का निधन हो गया था.

सुब्रमण्यम स्वामी: जाने-माने नेता और अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम स्वामी ने ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी और पोस्ट-ग्रेजुएशन भारतीय सांख्यिकी संस्थान (कोलकाता) से किया. इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की. पीएचडी पूरी करने के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने हार्वर्ड में ही अध्यापन का काम किया.

मीरा नायर: मशहूर फ़िल्म निर्माता जिन्हें सलाम बॉम्बे और मॉनसून वेडिंग जैसी फ़िल्मों के लिए जाना जाता है. दिल्ली के मिरांडा हाउस से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में डिग्री प्राप्त की थी.

कपिल सिब्बल: मशहूर वकील और राजनीतिज्ञ कपिल सिब्बल ने 1977 में हार्वर्ड लॉ स्कूल से एल.एल.एम. की डिग्री ली. यूपीए सरकार के दौरान वह मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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