केरल के कोच्चि में एक निजी कंपनी के कर्मचारी को गले में पट्टा बांधकर, ज़मीन पर घुटनों के बल बैठने को मजबूर करने वाला एक वीडियो वायरल होने से हड़कंप मच गया है.
कोच्चि के पेरुमबाउर के एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी तमिल को बताया कि उसी कंपनी में काम करने वाली एक महिला की शिकायत के आधार पर वीडियो सर्कुलेट करने वाले शख़्स के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है.
वायरल वीडियो के बाद दावा किया गया था कि इसमें दिख रहे शख़्स को सेल्स टारगेट पूरा न करने पर सज़ा दी जा रही है.
वीडियो में एक युवक को रस्सी से घसीटते हुए दिखाया गया है. उसे कुत्ते की तरह भौंकने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
(इस आर्टिकल के कुछ अंश आपको विचलित कर सकते हैं.)

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इस वीडियो को देश भर में लाखों लोगों ने सोशल मीडिया पर देखा. इसके बाद केरल के राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य युवा आयोग ने इस पर मामला दर्ज कराया है.
केरल राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष शाजर ने बीबीसी तमिल को बताया, "किसी भी सभ्य समाज में ऐसी गतिविधियां मंज़ूर नहीं की जा सकतीं. इसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए."
केरल के श्रम मंत्री सिवनकुट्टी ने कहा कि मामले की जांच के आदेश दे दिए . उन्होंने बताया कि इस मामले में श्रम विभाग के अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है.
वायरल वीडियो में जिस व्यक्ति को कुत्ते की तरह रस्सी से घसीटते दिखाया जा रहा था उसने भी अपनी बात रखी है.
उसने कहा, "मैं अभी भी उस कंपनी में काम कर रहा हूं. ये फुटेज कुछ महीने पहले कंपनी में मैनेजर के रूप में काम करने वाले किसी व्यक्ति ने ली थी. बाद में प्रबंधन ने उस व्यक्ति से इस्तीफ़ा देने को कहा और अब वह कंपनी के मालिक को बदनाम करने के लिए इस वीडियो का इस्तेमाल कर रहे हैं."
उधर बीबीसी तमिल से बात करते हुए एर्नाकुलम ज़िले के श्रम कल्याण अधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि 'संबंधित कर्मचारियों ने उन्हें बताया है कि पिछले साल नवंबर में लिया गया यह वीडियो फ़र्ज़ी था.'
उन्होंंने कहा, "जिस शख़्स ने यह वीडियो पोस्ट किया है वह अब वहां काम नहीं करता है. उसने बदला लेने के इरादे से ये वीडियो जारी किया है. जिस कर्मचारी को पीड़ित माना जा रहा है, वह अभी भी उसी कंपनी में काम कर रहा है. मैंने वहां के सभी कर्मचारियों से इस बारे में पूछताछ की है और श्रम कल्याण आयोग को रिपोर्ट भेज दी है. वहां से यह रिपोर्ट केरल सरकार को भेजी जाएगी."
श्रम कल्याण अधिकारी विनोद कुमार ने कहा, ''कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाता. ये लोग हर दिन घर-घर जाकर कुछ घरेलू सामान बेचते हैं. उन्हें बिक्री के आधार पर कमीशन दिया जाता है. इसलिए यह कहना सही नहीं है कि सेल्स टारगेट पूरा न करने के कारण उन्हें दंडित किया गया.''

उधर स्थानीय पुलिस ने वीडियो वायरल करने वाले व्यक्ति के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.
पुलिस ने वीडियो बनाने और उसे वायरल करने वाले कंपनी के पूर्व मैनेजर पर आईपीसी की धारा 74 के तहत केस दर्ज कर लिया है.
बीबीसी तमिल से बात करते हुए पेरुमबाउर सर्किल इंस्पेक्टर सूपी ने कहा, "वायरल वीडियो को मज़ाक के तौर पर लिया गया था. वहां पहले काम करने वाले एक मैनेजर ने बदला लेने के इरादे से यह वीडियो लिया और ग़लत जानकारी के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. जब वह इस कंपनी में था, तब उसके और कंपनी प्रबंधन के बीच कुछ विवाद था. ''
सर्किल इंस्पेक्टर ने कहा कि वीडियो में दिख रहे व्यक्ति ने ख़ुद कहा है कि उसे ऐसी कोई सज़ा नहीं दी गई थी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसी कंपनी में काम करने वाली एक महिला ने वीडियो पोस्ट करने वाले कोझिकोड के पूर्व प्रबंधक के ख़िलाफ़ पहले ही शिकायत दर्ज करा दी है.
पुलिस का कहना है कि कंपनी के किसी भी कर्मचारी ने दुर्व्यवहार की कोई शिकायत अब तक दर्ज नहीं करवाई है.
सर्किल इंस्पेक्टर सूपी ने बीबीसी तमिल को बताया, ''शिकायत में जिस घटना का ज़िक्र किया गया है उसे कई महीने बीत चुके हैं इसलिए तत्काल गिरफ़्तारी का कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है. इस मामले में क़ानूनी सलाह मांगी गई है.''
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