राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) में इन दिनों राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। आरसीए की तदर्थ समिति के संयोजक व भाजपा विधायक जयदीप बिहानी और भाजपा नेता व चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। मामला तब और गरमा गया जब बिहानी ने धनंजय सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि वे एक साथ नागौर और जोधपुर क्रिकेट संघ के अध्यक्ष कैसे रह सकते हैं, जो आरसीए के संविधान के खिलाफ है।
सोशल मीडिया पर शेयर किया इस्तीफा, सीएम से की शिकायत
धनंजय सिंह ने इस नोटिस को पूरी तरह से अवैध बताया और जवाब में ईमेल भेजकर कहा कि संयोजक को इस तरह का पत्र भेजने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहानी अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर खेलों में राजनीति कर रहे हैं और इस पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की जाएगी। अब धनंजय ने नागौर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
धनंजय सिंह ने अपने इस्तीफे की प्रति ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, ''मैंने 28 मार्च 2025 को नागौर जिले की सभी जिम्मेदारियों से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है, तथा इसकी विस्तृत जानकारी मेरे निजी सचिव श्री हिम्मत सिंह द्वारा व्यक्तिगत रूप से उप रजिस्ट्रार, सहकारिता विभाग, जिला खेल अधिकारी, तथा डीसीए नागौर सचिव नंदू जी सहित सभी संबंधित अधिकारियों को लिखित रूप में प्रस्तुत की गई है, जिसकी उप रजिस्ट्रार, सहकारिता विभाग तथा जिला खेल अधिकारी, नागौर द्वारा दी गई रसीद नीचे संलग्न है। डीसीए नागौर सचिव महोदय ने पत्र लेने से साफ मना कर दिया था।''
नागौर से इस्तीफा दिया, जोधपुर में औपचारिक रूप से अध्यक्ष बने धनंजय सिंह ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने नागौर क्रिकेट एसोसिएशन से मार्च माह में ही इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि वहां काफी कुछ गलत हो रहा था। इसके बाद जोधपुर में हुए औपचारिक चुनाव में वे अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने दावा किया कि इस्तीफे की सूचना सहकारिता विभाग, जिला खेल अधिकारी तथा उप रजिस्ट्रार को दे दी गई थी तथा इसकी प्रति भी उपलब्ध है।
नियमों की अनदेखी और निजी ईमेल से पत्राचार का आरोप
धनंजय सिंह ने आरोप लगाया कि संयोजक द्वारा उन्हें भेजा गया पत्र पूरी तरह से अनाधिकृत है। यह पत्र न केवल निजी ईमेल आईडी से भेजा गया है, बल्कि इसमें बिना अनुमति के आरसीए के लेटरहेड का भी इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि संयोजक इस मामले में जवाब मांगने के लिए न तो अधिकृत हैं और न ही उन्हें कोई जवाब देने के लिए बाध्य हैं। उन्होंने इसे नियमों की खुली अवहेलना और शक्तियों के दुरुपयोग का उदाहरण बताया।
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