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Jhunjhunu कभी होता था मत्स्यपालन अब बांध खुद ही प्यासे, नहीं आया पानी

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झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, झुंझुनू  क्षेत्र में बने बांधों पर आवंटित लीज के नाम पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। इससे अच्छी बारिश के बावजूद यह बांध पानी की बूंद को तरस रहे हैं। बांधों के भराव क्षेत्र में अवैध खनन से गहरे गड्ढ़े कर दिए गए। इससे बारिश का पानी बांध तक नहीं पहुंच पाया और बांध खाली ही रह गए। वहीं अधिकारियों का यह भी मानना है कि बारिश की गति तेज नहीं होने के कारण बांधों में पानी की आवक नहीं हुई।
यह बांध रहे खाली

मावता बांध की भराव क्षमता 40.25 एमसीएफटी है। इस वर्ष हुई बारिश से बांध में नाम मात्र का पानी ही आया है। निरंका की ढाणी छापोली बांध की भराव क्षमता क्षमता 44.50 एमसीएफटी है। बारिश के बाद भी बांध प्यासा है। पौंख बांध की भराव क्षमता 46.96 एमसीएफटी है। इसे भी बारिश के पानी का इंतजार रहा।

यहां होता था मत्स्य पालन

सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार छापोली निरंका की ढाणी, मावता बांध व मंडावरा बांध में कोई समय में मत्स्य पालन का कार्य होता था। इसके लिए बाकयदा टेंडर छोड़े जाते थे। इससे लोगों को रोजगार मिलता था। साथ ही इन बांधों का सिंचाई के लिए भी उपयोग किया जाता था लेकिन बांध अब खुद ही प्यासे हैं। इतना ही नहीं बांधों में पानी का भराव नहीं होने के कारण यहां का रखरखाव भी सही नहीं हो पा रहा है। मावता बांध में पानी मापने का यंत्र भी क्षतिग्रस्त होकर हादसे का केंद्र बना हुआ है।

50-50 फीट गहरे गड्ढे

खेतड़ी -मोड़ी ईलाखर बांध लगभग 14 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी भराव क्षमता 200 एमसीएफटी है तथा ऊचाई 5.9 मीटर है। बांध क्षेत्र के अंदर व बांध के पानी आवक क्षेत्र बसई नदी में सिहोड से लेकर ईलाखर तक रात-दिन अवैध रूप से बजरी खनन किया जा रहा है। इससे लगभग 50 -50 फीट के गहरे गड्ढे बन गए। हैं। इस कारण बांध में पानी नहीं पहुंच पाता है।

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