भीलवाड़ा जिले में स्थित गांधी सागर तालाब अब शहर का नया आधुनिक पर्यटन केंद्र होगा। महानगर के समुद्र तटीय क्षेत्र में नगर निगम तालाब को टापू की तरह विकसित किया जाएगा। इसके लिए निगम करीब सात करोड़ रुपए खर्च करेगा। डीपीआर के आधार पर गांधी सागर तालाब के सौंदर्यीकरण व विकास कार्य में जल्द ही तेजी लाई जाएगी। नगर विकास न्यास द्वारा पटेल नगर क्षेत्र में मानसरोवर झील को विकसित करने और आजाद नगर में नगर वन बनाने का जिम्मा संभालने के बाद निगम ने शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए शहर के प्राचीन गांधी सागर तालाब को भी नया रूप देने की तैयारी कर ली है। नया रूप आधुनिक होगा और समुद्र तट क्षेत्र की शांति देगा।
700 मीटर की कलात्मक चारदीवारी
महापौर राकेश पाठक ने बताया कि गांधी सागर तालाब का पूरा परिसर आधुनिकता के स्वरूप में होगा। तालाब के तीन तरफ का हिस्सा आबादी और बांध के कारण अभी सुरक्षित है। सामने की दीवार की चारदीवारी यानी प्रवेश द्वार से जुड़ा हिस्सा नया बनाया जाएगा। सात सौ मीटर एरिया की यह दीवार सैंड स्टोन में घास की डिजाइन के पैटर्न में होगी। यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई आकर्षक वस्तुएं और उपकरण लगाए जाएंगे।
जलमहल के लुक में बनेगा टापू
निगम आयुक्त हेमाराम चौधरी ने बताया कि तालाब के बीच में बने टापू को जलमहल की तरह विकसित किया जाएगा। मुख्य द्वार से टापू तक का रास्ता आधुनिक लुक वाला होगा। पूरे तालाब में बोटिंग कर घूमा जा सकेगा। यहां फूड प्लाजा भी बनेगा।इसमें 24 दुकानें होंगी। यहां एंटरटेनमेंट जोन भी होगा। यहां झूले, मेरी-गो-राउंड आदि होंगे। फिश एक्वेरियम भी यहां खास होगा। इसी तरह वॉकिंग ट्रैक भी होगा। यहां डिजिटल एलईडी से भव्य लाइटिंग बिखेरी जाएगी।
केकड़िया महादेव में झरने की कलकल ध्वनि रोमांचित करती है
बरसात के मौसम में मांडलगढ़ क्षेत्र में ऐसे कई झरने और पर्यटन स्थल हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों का मन मोह लेती है। ऐसी ही एक जगह है केकड़िया महादेव। यहां हरी-भरी पहाड़ी से झरना गहरी खाई में गिरता है। इसके आगे एक और झरना भी गिरता है। यहां एक छोटा सा एनीकट भी बना हुआ है। कल-कल करते झरनों की मधुर ध्वनि वातावरण को रोमांचकारी बना रही है।
यहां कैसे पहुंचें
यहां पहुंचने के लिए मांडलगढ़ सिंगोली चारभुजा मार्ग पर सरना के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के पास से केकड़िया गांव तक पक्की सड़क है। जो पहाड़ी रास्ते से घाटी को काटते हुए केकड़िया पहुंचती है। यहां से सड़क केकड़िया महादेव पहाड़ी की ओर जाती है। निजी वाहनों से मूल स्थान से करीब 300 मीटर पहले पहुंचा जा सकता है। रास्ता बेहद संकरा होने के कारण फिसलन वाला क्षेत्र होने के कारण मूल स्थान तक पहुंचने के लिए काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। यह स्थान केकड़िया गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है, जहां कोई दुकान, मकान या जरूरी सामान उपलब्ध नहीं है। पहाड़ी से उतरते समय नेटवर्क की समस्या भी हो सकती है।
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