सीकर जिले में स्थित शक्तिपीठ झिनमाता लक्खी मेले के 5वें दिन गुरुवार देर रात पुजारियों और बतीसी संघ के लोगों के बीच जमकर मारपीट हुई। विवाद इतना बढ़ गया कि मंदिर ट्रस्ट के पुजारियों ने उन्हें शांत करने पहुंचे प्रशासन के अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की की और जगह-जगह तोड़फोड़ की। यह पूरा घटनाक्रम उस समय हुआ जब बतीसी संघ मंदिर में आया था। दरअसल, 32 गांवों का एक संघ चैत्र नवरात्रि के छठे दिन अपना प्रतीक चिन्ह चढ़ाकर झिनमाता के मंदिर में माथा टेकता है। झिनमाता पहुंचने के बाद बतीसी संघ की ओर से एक बैठक आयोजित की जाती है, जिसमें प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी भी मौजूद रहते हैं।
ट्रस्ट की ओर से तय संख्या से ज्यादा लोग मौजूद रहे
गुरुवार को संघ की ओर से आयोजित बैठक में दांता रामगढ़ एसडीएम मोनिका समोर और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी मौजूद रहे। उनमें इस बात पर सहमति बनी थी कि जब बतीसी संघ आएगा तो मंदिर ट्रस्ट के 3 पुजारी मौजूद रहेंगे। लेकिन जब बतीसी संघ दर्शन के लिए आया तो मंदिर ट्रस्ट के तय संख्या 3 से ज्यादा लोग वहां मौजूद थे।
इसके अलावा ट्रस्ट के पुजारी न मानने पर अड़े रहे
जिस पर प्रशासन ने ट्रस्ट के लोगों से दिन में हुए समझौते के बारे में चर्चा की और 3 पुजारियों को छोड़कर बाकी सभी को वहां से हटाने को कहा। लेकिन ट्रस्ट के पुजारी प्रशासन की इस बात को न मानने पर अड़े रहे। जिस पर प्रशासन ने कहा कि जब दिन में 3 पुजारियों को बैठाने की सहमति बनी है तो इस संख्या को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। इसी बीच बतीसी संघ के लोग दर्शन के लिए मंदिर पहुंच गए। जब संघ के लोगों ने मंदिर के और पुजारियों को वहां से हटाने को कहा तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। जिसके बाद धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया। जब प्रशासन ने विवाद को रोकने के लिए मध्यस्थता की तो मंदिर ट्रस्टियों ने प्रशासन के साथ मारपीट शुरू कर दी।
बतीसी संघ के लोग मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए
इसके बाद पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए मंदिर ट्रस्ट के लोगों को हिरासत में ले लिया। जिसके बाद मंदिर के पदाधिकारी भड़क गए और उन्होंने मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंद कर दिए। विवाद इतना बढ़ गया कि कुछ लोगों ने ट्रस्ट कार्यालय में तोड़फोड़ कर दी। इसके बाद बतीसी संघ के लोग मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए।
एसडीएम ने समझाया
एसडीएम मोनिका समोर ने संघ के लोगों से बातचीत की। इसके बाद संघ और पुजारियों के बीच विवाद न करने पर सहमति बनी। इस विवाद की सूचना मिलने पर देर रात सीकर जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा, पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव भी मौके पर पहुंचे।
विवाद के चलते मंदिर के कपाट 3 घंटे तक बंद रहे। इसके बाद मंदिर के कपाट दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए। पंचमी तिथि के बाद जीणमाता मंदिर के कपाट दर्शनार्थियों के लिए 24 घंटे खुले रहते हैं। पट बंद होने के कारण दर्शनार्थियों को 3 घंटे तक काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
क्या है बतीसी संघ
बतीसी संघ बाघोली, पचलंगी, पापड़ा, नीमकाथाना, नयाबास, राणासर जोधपुरा, जीणमाता सहित 32 गांवों के लोगों से बना संघ है। ये लोग खुद को मां जीण भवानी का वंशज मानते हैं। बतीसी संघ के लोगों का मानना है कि झींमाता मंदिर पर पहला हक उनका है। झींमाता मंदिर की देखभाल और पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी बतीसी संघ ने मंदिर ट्रस्ट को दे रखी है। झींमाता मेले में बतीसी संघ बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है और मां को चुनरी ओढ़ाने की रस्म निभाता है।
संघ अपने स्तर पर चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ऊंटगाड़ी, ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठकर सिर पर जलती सिगड़ी रखकर झींमाता धाम के लिए निशान पदयात्रा पर निकलता है। ये भक्त चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को झड़या बालाजी मंदिर में एकत्रित होते हैं। इसे बतीसी का संघ कहते हैं। जैसे-जैसे संघ आगे बढ़ता है, कारवां जुड़ता जाता है। यह संघ तीन दिन बाद चैत्र नवरात्रि के छठे दिन झींमाता धाम में लगने वाले मेले में पहुंचता है। वहां अपने निशान चढ़ाते हैं। कई भक्त मन्नत मांगने के लिए सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलते हैं, जबकि कई मन्नत पूरी होने पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चले जाते हैं। यह परंपरा कई साल पुरानी है।
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