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थार रेगिस्तान की रगों में बहती है विरासत, 3 मिनट की वायरल डॉक्यूमेंट्री में जाने वो बातें जो हर भारतीय को जाननी चाहिए

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भारत का थार रेगिस्तान, जिसे "ग्रेट इंडियन डेजर्ट" के नाम से भी जाना जाता है, सिर्फ एक सूखी रेत की पट्टी नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति, संघर्ष और सुंदरता का जीवंत उदाहरण है। राजस्थान के पश्चिमी भाग में फैला यह रेगिस्तान भारत और पाकिस्तान की सीमा तक विस्तृत है, और इसकी सीमा पंजाब, हरियाणा, गुजरात और सिंध (पाकिस्तान) के कुछ हिस्सों तक जाती है।थार का जीवन जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही आकर्षक भी है। यह स्थान न केवल अपने अनूठे भूगोल और जलवायु के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी लोक संस्कृति, रंग-बिरंगे वस्त्र, ऊँट यात्राएं और ऐतिहासिक किले इस क्षेत्र को पर्यटन के लिहाज से बेहद खास बनाते हैं।


भौगोलिक संरचना और जलवायु

थार रेगिस्तान लगभग 2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े उप-उष्णकटिबंधीय रेगिस्तानों में से एक बनाता है। यह क्षेत्र कम वर्षा, तीव्र तापमान भिन्नता, और रेतीली मिट्टी के कारण पहचाना जाता है। यहां गर्मियों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जबकि सर्दियों की रातें बेहद ठंडी होती हैं।बारिश की औसत मात्रा साल भर में केवल 100 से 500 मिमी के बीच रहती है, जिससे यह इलाका सूखे की मार अक्सर झेलता है। लेकिन इन विषम परिस्थितियों के बावजूद, थार में जीवन कभी रुका नहीं।

वनस्पति और जीव-जंतु
रेगिस्तान की सीमित वनस्पति में मुख्यतः बबूल, खेजड़ी और बेर के पेड़ देखने को मिलते हैं। वहीं जीव-जंतुओं की बात करें तो यहां नीलगाय, काले हिरण, फॉक्स, सांप, बिच्छू, और छिपकलियां आम हैं। पक्षियों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसे दुर्लभ प्रजातियों की उपस्थिति थार की जैव विविधता को विशेष बनाती है।

संस्कृति और परंपरा: रेत में खिलते रंग
थार की संस्कृति इसकी सबसे बड़ी पहचान है। यहां के लोग कठिन जीवन के बावजूद गायन, नृत्य, और कला के जरिए अपनी खुशियाँ जाहिर करते हैं। कालबेलिया नृत्य, मांड गायन, और पगड़ी बांधने की विविध शैलियां राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं।यहां के मेले जैसे जैसलमेर डेजर्ट फेस्टिवल, पुष्कर मेला, और बीकानेर का ऊँट उत्सव दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पर्यटन का स्वर्ग
थार रेगिस्तान भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। पर्यटक खास तौर पर जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर और बाड़मेर जैसे शहरों में आकर रेगिस्तानी जीवन का अनुभव लेते हैं। जैसलमेर का स्वर्ण किला, सोनार किला, सम के टीलों की ऊँट सफारी, और सांझ की लोक संध्या पर्यटकों के लिए यादगार बन जाती है।रेगिस्तान में कैंपिंग, नाइट सफारी, और लोक संगीत के साथ बोनफायर डिनर का अनुभव आजकल खासा लोकप्रिय हो चुका है।

संघर्ष और समाधान
थार रेगिस्तान के लोग पीने के पानी, शिक्षा, और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष करते रहे हैं। हालांकि, सरकार और NGOs के प्रयासों से हाल के वर्षों में हालात कुछ बेहतर हुए हैं। इंदिरा गांधी नहर परियोजना थार के कई क्षेत्रों में जल जीवन लाई है।सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और पारंपरिक हस्तशिल्प को बढ़ावा देकर सरकार यहां के लोगों को वैकल्पिक आजीविका भी उपलब्ध करवा रही है।

भविष्य की चुनौतियां
जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और पर्यटन का अत्यधिक दबाव थार की पारिस्थितिकी के लिए खतरा बन सकता है। रेगिस्तान की नाजुक जैव विविधता और पारंपरिक जीवनशैली को बचाए रखना हमारी साझा जिम्मेदारी है।

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