राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव को लेकर युवाओं का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। छात्र संगठनों और युवा नेताओं द्वारा चुनाव बहाली की मांग को लेकर आंदोलन अब और तेज हो गया है। शुक्रवार को राजधानी जयपुर स्थित राजस्थान यूनिवर्सिटी में दो दर्जन से ज्यादा छात्र नेताओं ने सैकड़ों छात्रों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और जोरदार नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारी छात्र नेताओं का कहना है कि राज्य में लंबे समय से छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान हो रहा है और युवाओं की आवाज को दबाया जा रहा है। छात्रों का यह भी आरोप है कि सरकार जानबूझकर चुनाव टाल रही है ताकि विश्वविद्यालयों में छात्र शक्ति कमजोर बनी रहे।
धरना से रैली तक और फिर पुलिस की कार्रवाई
प्रदर्शन की शुरुआत राजस्थान यूनिवर्सिटी परिसर से हुई, जहां छात्रों ने बैनर और पोस्टर लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके बाद छात्र नेताओं ने जवाहर लाल नेहरू मार्ग की ओर रैली निकालने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही रैली मुख्य मार्ग तक पहुंचने लगी, पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। पुलिस ने मौके पर मौजूद दो दर्जन से अधिक छात्र नेताओं और कुछ छात्रों को हिरासत में ले लिया और बसों में बैठाकर थाने भेज दिया।
पुलिस की इस कार्रवाई से छात्र और अधिक आक्रोशित हो गए। उन्होंने प्रशासन पर युवाओं की आवाज को दबाने का आरोप लगाया। वहीं, हिरासत में लिए गए छात्र नेताओं को देर शाम तक रिहा किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
छात्रों ने जताई नाराजगी, कहा – लोकतंत्र की हत्या
छात्र नेताओं ने इस पूरे घटनाक्रम को “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया। उन्होंने कहा कि छात्रसंघ चुनाव युवाओं की भागीदारी का सबसे बड़ा मंच होता है, जिसे लगातार अनदेखा किया जा रहा है। छात्रों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही चुनाव की घोषणा नहीं की गई, तो आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलाया जाएगा और कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में ताला बंदी तक की स्थिति बन सकती है।
राजनीतिक रंग लेता जा रहा है मुद्दा
गौरतलब है कि राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव पिछले कुछ वर्षों से स्थगित हैं। इस मुद्दे पर कई बार विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अब यह आंदोलन धीरे-धीरे राजनीतिक रंग लेता जा रहा है और कई राजनीतिक दलों के छात्र संगठन भी इसमें शामिल हो चुके हैं।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस छात्र शक्ति की आवाज को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या आगामी दिनों में छात्रसंघ चुनाव की बहाली की घोषणा की जाती है या नहीं। फिलहाल छात्र संगठन पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और संघर्ष की राह पर डटे हुए हैं।
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