कथित विवाद की वजह से, 19 साल से पंचना डैम की नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया है, जिससे सवाई माधोपुर और करौली ज़िलों के 47 गांवों के 1.25 लाख किसानों और मज़दूर परिवारों को हर साल करीब 200 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। 1977 से 2004 के बीच 125 करोड़ रुपये की लागत से बने पंचना डैम की स्टोरेज कैपेसिटी 2100 मिलियन क्यूबिक फीट पानी है। इसके कमांड एरिया में सिंचाई के लिए 40,000 एकड़ ज़मीन आती है।
मुख्यमंत्री भजन लाल से अपील
ग्रामोत्थान संस्था के प्रेसिडेंट रघुवीर प्रसाद मीणा और जनरल सेक्रेटरी महेंद्र सिंह मीणा ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को लेटर लिखकर मांग की है कि पंचना का पानी कमांड एरिया की नहरों में जल्द से जल्द छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि डैम 2006 से हर साल भर रहा है, फिर भी नहरों में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। इससे इलाके में पानी की भारी कमी हो गई है और किसानों की रबी की फसलें लगातार प्रभावित हो रही हैं। अब तक ₹3800 करोड़ का अनुमानित नुकसान हुआ है।
पानी होने के बावजूद खेत सूख रहे हैं
ग्रामोथान संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि 2022, 2023 और 2024 रबी फसल का सीजन बीत चुका है, लेकिन नहरें अभी भी सूखी हैं। मौजूदा सीजन में गंभीर नदी से बार-बार पानी छोड़े जाने के बावजूद, डैम भरा हुआ है और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध है। किसानों की मांग है कि नवंबर 2025 के दूसरे हफ्ते में रबी फसल की बुवाई के सीजन से पहले नहरों की मरम्मत और सफाई की जाए, ताकि समय पर सिंचाई हो सके और फसल को बचाया जा सके।
हाईकोर्ट ने दिए थे साफ निर्देश
जब बार-बार मांग और प्रशासनिक कोशिशों के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामोथान संस्थान ने राजस्थान हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। एप्लीकेशन नंबर 14825/2020 पर कोर्ट ने 8 जुलाई, 2022 को डैम की नहरों में पानी छोड़ने के साफ निर्देश जारी किए।
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