शिक्षा विभाग ने चोरपुरा, चुड़ैल और भंगीपुरा जैसे अशोभनीय नामों वाले सरकारी स्कूलों के नाम बदल दिए हैं। प्रदेश के 40 ऐसे स्कूलों को अब नए नाम दिए गए हैं। इनमें प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल शामिल हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने ऐसे स्कूलों के नाम बदलने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों से प्रस्ताव मांगे थे। प्रस्ताव मिलने पर इनकी समीक्षा की गई और शनिवार को 40 सरकारी स्कूलों के नाम बदलने के आदेश जारी कर दिए गए। इनमें 35 प्राथमिक और पांच उच्च प्राथमिक स्कूल शामिल हैं।
नाम से 'अपमान' का भाव
कई स्कूलों के नाम के साथ कंजर, भिखारिया, चुड़ैलियो, चोरपुरा, भंगीपुरा जैसे शब्द जुड़े थे। इनके नाम से अपमान का भाव आता था। उदाहरण के लिए धौलपुर में आर.पी.ए. चोरपुरा का नाम बदलकर अब आर.पी.ए. भैंसेना कर दिया गया है। भीलवाड़ा में आर.पी.ए. चूल्हाओं का झोपड़ा का नाम बदलकर आर.पी.ए. सोजीपुरा कर दिया गया है। अजमेर में आर.पी.ए. विद्यालय कंजर बस्ती रामगंज का नाम बदलकर आर.पी.ए. रामगंज कर दिया गया है। बांसवाड़ा जिले में आर.पी. विद्यालय भीखरिया का नाम बदलकर आर.पी. डूंगरफला ईटाला कर दिया गया है। करौली में आर.पी. भंगीपुरा का नाम बदलकर आर.पी. पटवारी का पुरा, ससेड़ी कर दिया गया है।
माध्यमिक शिक्षा में भी ऐसे स्कूल
प्राथमिक शिक्षा के तहत जिस तरह से आपत्तिजनक नामों से स्कूलों के नाम बदले गए हैं, उसी तरह से मिलते-जुलते नाम वाले दर्जनों स्कूल माध्यमिक शिक्षा के तहत भी चल रहे हैं। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की तर्ज पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को भी ऐसे स्कूलों के नाम बदलने चाहिए। प्रदेश में हरिजन बस्ती और जातिसूचक शब्दों वाले कई माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल चल रहे हैं।
अधिकांश स्कूल पुराने नाम वाले
प्राथमिक शिक्षा में जिन स्कूलों के नाम बदले गए हैं, उनमें से अधिकांश स्कूल सालों पहले खुले थे। स्कूल के नाम में जातिसूचक मोहल्लों के नाम जोड़ दिए गए। अधिकांश स्कूलों में भीलों की बस्ती, चमारों की बस्ती, कंजरीवाला, मेघवालों का मोहल्ला, हरिजन बस्ती आदि शब्द लिखे हैं। अब इन मोहल्लों के नाम बदल दिए गए हैं, लेकिन स्कूलों के पुराने नाम ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
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