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विकास की नई राह पर राजस्थान! 40 शहरों में शुरू होंगी स्मार्ट परियोजनाएं, युवाओं को मिलेंगे रोजगार के मौके

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राज्य के 40 शहरों का विकास भी निवेश से जुड़ेगा। अब इसी आधार पर विकास की योजना बनाई जा रही है। इसमें सैटेलाइट शहरों को भी शामिल किया जाएगा। एशियाई विकास बैंक से 15-16 हज़ार करोड़ रुपये के ऋण की चल रही प्रक्रिया के बीच, राज्य सरकार ने इस दिशा में कवायद शुरू कर दी है।

इसमें न केवल सड़क, जल निकासी, सीवरेज पर काम होगा, बल्कि परिवहन कनेक्टिविटी, औद्योगिक विकास पर भी काम होगा। इससे स्थानीय स्तर पर निवेशक भी जुड़ेंगे, जिससे रोज़गार का दायरा भी बढ़ेगा। इस तरह के विकास से बड़े शहरों की ओर पलायन कम होने या रुकने की संभावना भी बनेगी। शहरी विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग ने ऋण और इस संबंध में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक मामलों के विभाग के अधिकारियों के साथ भी चर्चा की है।

इस प्रकार विकास प्रस्ताव
सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर 24 घंटे पेयजल आपूर्ति।
सीवरेज सुविधा का प्रावधान, उद्योग और कृषि के लिए उपचारित जल की उपलब्धता।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को प्रभावी ढंग से लागू करके शून्य अपशिष्ट मॉडल पर काम किया जाएगा।


जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार किया जाएगा।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की दिशा में काम किया जाएगा।

विरासत के संरक्षण, मनोरंजन सुविधाओं के विकास, सौंदर्यीकरण और चिकित्सा सुविधाओं में वृद्धि पर काम किया जाएगा।
रोड लाइटों के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएँगे।
ट्रैफिक जाम से राहत, सड़कों का पुनर्निर्माण, पार्किंग स्थलों का निर्माण।
बस स्टैंड विकास, नगरीय परिवहन व्यवस्था और अंतर-नगरीय परिवहन व्यवस्था में सुधार।

इन शहरों के सैटेलाइट टाउन पर फिर से चर्चा
जयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, भरतपुर, सीकर के 26 सैटेलाइट टाउन के कायाकल्प की योजना है। संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे गए हैं।
सैटेलाइट टाउन के लिए निर्धारित भूमि उपयोग धरातल पर उतरना चाहिए। इसमें आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक और अन्य ज़रूरतें शामिल हैं।
सभी प्रकार के शैक्षणिक संस्थान चलाए जाने चाहिए ताकि युवाओं को वहाँ शैक्षणिक सुविधाएँ मिल सकें।
जिला मुख्यालय स्तर पर चिकित्सा सुविधाओं की आवश्यकता है।
औद्योगिक क्षेत्रों का विकास आवश्यक है ताकि रोज़गार बढ़े और पलायन रुके।
परिवहन संपर्क होना चाहिए। डेमो ट्रेनें चलाई जा सकती हैं।

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