संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले। बहस के दौरान विपक्ष के कई बड़े नेताओं — अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य सदस्यों ने केंद्र सरकार को घेरे में लेने की कोशिश की। वहीं, लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने 1 घंटे 16 मिनट तक लगातार बोलते हुए न सिर्फ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की बारीकियों को स्पष्ट किया, बल्कि ‘ऑपरेशन महादेव’ समेत अन्य रणनीतिक अभियानों की भी जानकारी दी।
गौरतलब है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देशभर में चर्चा है और संसद में इसकी समीक्षा करते हुए कई नेताओं ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीजफायर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अतीत में किए गए दावों को लेकर भी सवाल उठाए। विपक्षी नेताओं का कहना था कि सरकार को इस मामले में स्पष्ट और पारदर्शी नीति अपनानी चाहिए, ताकि देश के नागरिकों को यह जानकारी हो सके कि सीमा पर क्या हो रहा है और किस प्रकार की रणनीतिक कार्रवाई की जा रही है।
बहस के दौरान विपक्ष ने ट्रंप के पूर्व बयानों का हवाला देते हुए सरकार से पूछा कि आखिर भारत-पाक सीजफायर समझौते पर अमेरिका की भूमिका क्यों उभरती रही है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शब्दों की तलवारें खिंच गईं और सदन का माहौल कुछ देर के लिए गर्मा गया।
इस बीच लोकसभा में एक अजीब और अप्रत्याशित वाकया भी देखने को मिला। जब अमित शाह ऑपरेशन सिंदूर पर बोल रहे थे, तभी विपक्ष के एक सदस्य ने बीच में दखल देकर सवाल उठाया, जिस पर गृह मंत्री ने मुस्कुराते हुए जवाब देते हुए कहा, “ये देश की सुरक्षा का मामला है, इसे राजनीति से ऊपर रखिए।” सदन में इस पर कुछ देर के लिए हंसी का माहौल बन गया, लेकिन फिर चर्चा गंभीर रूप में वापस लौट आई।
अपने विस्तृत संबोधन में अमित शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों की एक संगठित और निर्णायक कार्रवाई है, जिसे देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अंजाम दिया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने हमेशा देशहित को सर्वोपरि रखते हुए निर्णय लिए हैं और आगे भी देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
सदन में अमित शाह ने ‘ऑपरेशन महादेव’, ‘ऑपरेशन शक्ति’ और ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ जैसे अन्य अभियानों का भी ज़िक्र किया, और यह बताया कि किस प्रकार से भारत ने पिछले कुछ वर्षों में सीमाओं पर रणनीतिक बढ़त हासिल की है।
विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि सरकार विपक्ष की राय का सम्मान करती है, लेकिन राष्ट्रहित के मामलों में राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाना समय की आवश्यकता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई इस बहस ने एक बार फिर साबित किया कि देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे ना सिर्फ रणनीतिक बल्कि राजनीतिक बहस का भी केंद्र बनते जा रहे हैं। अब देखना होगा कि यह चर्चा संसद से निकलकर जमीनी नीतियों में किस रूप में परिवर्तित होती है
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