पानी, खाद्य पदार्थों और सब्जियों में अशुद्धियों के बाद अब नमक की गुणवत्ता से छेड़छाड़ ने आम आदमी के स्वास्थ्य के लिए नया संकट खड़ा कर दिया है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान की सबसे बड़ी नमक मंडी नावां की, जहां स्थापित नमक जांच प्रयोगशाला बंद होने से नमक गुणवत्ता जांच का काम ठप पड़ा है। ऐसे में देशभर में दर्जनों नमक प्लांट, रिफाइनरी और वाशरी अपनी घोषणा के आधार पर नमक की आपूर्ति कर रहे हैं। इससे खाद्य नमक की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। नमक गुणवत्ता जांच की मौजूदा व्यवस्था के तहत न तो काउंटर पर हस्ताक्षर हो रहे हैं, न ही गुणवत्ता नियंत्रण और न ही सांख्यिकी विभाग की कोई भूमिका है। जबकि नावां में हर साल औसतन 20 लाख मीट्रिक टन नमक का उत्पादन होता है।
तीन माह से प्रयोगशाला पर ताला
सूत्रों के अनुसार नमक विभाग जयपुर ने करीब तीन माह पहले नावां में स्थापित नमक जांच प्रयोगशाला को बंद करने के आदेश दिए थे, तब से प्रयोगशाला पर ताला लगा हुआ है। इससे रेलवे को भी लाखों रुपए के नुकसान की आशंका है। वहीं करीब दो हजार करोड़ के इस सालाना कारोबार की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
श्रेणी के अनुसार नहीं हो रहा नमक का लदान
नावां में स्थापित नमक उपनिरीक्षक कार्यालय पर ताला लग गया है। रेलवे द्वारा तय लदान मानकों के अनुसार नमक को उसकी गुणवत्ता व उपयोगिता के अनुसार वर्गीकृत कर वैगनों में लोड किया जाता है, लेकिन नावां में ग्रेडिंग प्रक्रिया पूरी तरह ठप है। इसके चलते बाजार में घटिया नमक पहुंच रहा है। वहीं, गलत श्रेणी के वैगनों में सही ग्रेड का नमक लोड होने से रेलवे को प्रति रैक हजारों रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं, नावां में नमक उपनिरीक्षक कार्यालय बंद होने से रेलवे की ओर से छोटे नमक प्लांट व वाशरी संचालकों को दी जाने वाली किराए में रियायत भी बंद हो गई है।
उद्योग विभाग की ढिलाई
नमक कारोबार की निगरानी व सत्यापन का जिम्मा उद्योग विभाग नागौर के पास है। विभाग नागौर कार्यालय तक ही सीमित है। जबकि डीडवाना-कुचामन जिले में नमक का कारोबार सबसे ज्यादा है। यहां स्थित 25 से अधिक रिफाइनरियां, दर्जनों प्लांट और वाशरी निकाले गए नमक को रेल के जरिए दूसरे राज्यों में भेजती हैं। फिलहाल यह नमक बिना किसी आधिकारिक प्रमाण पत्र के स्वघोषणा के आधार पर भेजा जा रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
नावां में नमक विभाग का कार्यालय और प्रयोगशाला बंद कर दी गई है। स्वघोषणा के आधार पर नमक को ट्रेन में लोड किया जा रहा है। हमारी तरफ से कोई काउंटर साइन या जांच नहीं की जाती है। उद्योग विभाग का कार्यालय नागौर जिले में स्थित है। फिलहाल नमक की गुणवत्ता जांच समेत कई विषयों पर कुछ नहीं कहा जा सकता। नावां में नमक विभाग कार्यालय और जांच प्रयोगशाला बंद है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अशुद्ध नमक में आयोडीन के अलावा पोटेशियम, जिंक, मैग्नीशियम जैसे कई खनिज अत्यधिक मात्रा में मौजूद होते हैं, जिनकी शरीर को जरूरत नहीं होती। इनकी अधिकता शरीर के लिए जहर बन जाती है। अशुद्ध नमक खाने से लीवर और किडनी खराब हो सकती है। इसका दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है। यह हड्डियों को कमजोर करता है और अगर किसी को पहले से कैंसर है, तो यह उसके बढ़ने को तेज कर सकता है। यानी मौजूदा कैंसर को बढ़ा सकता है।
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