मुंबई। अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली यानी ''डैडी'' की आज 18 साल बाद नागपुर जेल से रिहाई हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी जमानत मंजूर कर दी है। 1980 और 1990 के दशक में वह मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया का सबसे बड़ा नाम था। हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गवली की जमानत मंजूर की है। अरुण गवली नागपुर जेल से रिहा होने के बाद नागपुर एयरपोर्ट पहुंचा और वहां से मुंबई के लिए रवाना हुआ। सुप्रीम कोर्ट में अरुण गवली की ओर से वकील मीर नगमान अली और हाड़कर ने उसकी पैरवी की थी। अदालत ने उस पर 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
अरुण गवली की रिहाई के दौरान उसके भाई और रिश्तेदार भी जेल परिसर में मौजूद थे। गवली के रिहाई के दौरान जेल परिसर में तगड़ा बंदोबस्त किया गया था, साथ ही जेल परिसर में एटीएस की टीम भी मौजूद थी।
बता दें कि सन 2004 में अरुण गवली मुंबई के चिंचपोकली विधानसभा सीट से विधायक बना था, जबकि गवली को शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की 2012 में हुई हत्या के मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में उसे नागपुर की जेल में उम्रकैद की सजा काटने के लिए भेज दिया गया था।
आखिर कौन है अरुण गवली?
मुंबई का ”डैडी” के नाम से मशहूर अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपरगांव में हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखता था और उसके पिता गुलाबराव मजदूरी और बाद में मुंबई की सिम्पलेक्स मिल में काम किया करते थे। उसकी मां लक्ष्मीबाई गृहिणी थीं। आर्थिक तंगी के कारण गवली ने मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी और कम उम्र में ही काम शुरू कर दिया था। 1980 और 1990 के दशक में वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड का एक प्रमुख चेहरा हुआ करता था। सेंट्रल मुंबई के दगड़ी चॉल में अपने गैंग की वजह से उसका नाम काफी चर्चा में रहता था।
1980 के दशक में, गवली ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ काम किया, लेकिन 1988 में रामा नाईक की हत्या के बाद दोनों में गहरी दुश्मनी हो गई। स्थानीय मराठी समुदाय में गवली का काफी दबदबा था, आम लोगों की मदद कर उसने लोकप्रियता भी अर्जित कर ली थी। 1990 के दशक में, मुंबई पुलिस के बढ़ते दबाव और गैंगवार से बचने के लिए गवली ने राजनीति में कदम रखा और अखिल भारतीय सेना (ABS) नामक राजनीतिक पार्टी बनाई। 2004 में वह चिंचपोकली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बना।
अदालत ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने गवली की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके लंबे समय से जेल में रहने और उसकी उम्र पर गौर किया। इसके बाद कोर्ट ने गवली को निचली अदालत की ओर से निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन जमानत दे दी।
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